मुजफ्फरनगर-शामली दंगा के मुक़दमें को वापस लेने से डीएम, एसएसपी ने अपनी राय में किया इनकार

मुजफ्फरनगर और शामली में 2013 के दंगों से जुड़े मामले वापस लेने का जिला प्रशासन ने विरोध किया है। राज्‍य सरकार ने जिला प्रशासन से 133 मामलों को वापस लेने पर राय मांगी थी। सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्‍ताह अलग-अलग भेजे गए जवाबों में, जिलाधिकारी, वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और अभियोजन अधिकारी ने कहा कि वे मुकदमे वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं। इसके पीछे उन्‍होंने ‘प्रशासनिक कारण’ वजह बताई है। संपर्क करने पर मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी राजीव शर्मा ने पुष्टि की कि उन्‍होंने अपने-अपने जवाब भेज दिए हैं।

133 मुकदमों में से 89 अभी अदालतों के समक्ष विचाराधीन हैं। बाकी मामलों में या तो आरोपी बरी हो गए या फिर क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल हुई है। लंबित मुकदमों में हेट स्‍पीच, हत्‍या, हत्‍या के प्रयास, आगजनी, डकैती के मामले हैं। इनके आरोपियों में स्‍थानीय भाजपा सांसद संजीव बालियान, बीजेपी विधायक सुरेश राणा और संगीत सिंह सोम, विहिप नेता साध्‍वी प्राची के नाम दर्ज हैं।

12 जनवरी, 2018 को राज्‍य के विधि विभाग ने मुजफ्फरनगर जिलाधिकारी को पत्र भेजा था। इसमें साध्‍वी प्राची, बिजनौर से भाजपा सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, स्‍थानीय सांसद संजीव बालियान, विधायक उमेश मलिक, संगीत सिंह सोम और सुरेश राणा के खिलाफ द्वेषपूर्ण भाषण देने के दो मुकदमों की जानकारी मांगी गई थी। यह मामले हिंसा भड़कने से पहले 31 अगस्‍त, 2013 और 7 सितंबर, 2013 को हुई महापंचायतों से जुड़े हैं।

23 फरवरी को भेजे गए दूसरे पत्र में विधि विभाग ने दंगों से जुड़े 131 मामलों की जानकारी मांगी। सरकार ने 8 पन्‍नों में एफआईआर डिटेल्‍स, जिलों और थानों के नाम जहां मुकदमे दर्ज थे और आईपीसी की धाराएं भेजी थीं। डीएम, एसएसपी और अभियोजन अधिकारी से इन मामलों को वापस लिए जाने पर अलग-अलग राय मांगी थी।

सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में दंगों के बाद कुल 503 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इन दंगों में 62 लोग मारे गए थे। राज्‍य सरकार ने इन मामलों की जांच के लिए एसआईटी बनाई थी।

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