महाराष्ट्र: पूर्व कांग्रेसी नारायण राणे ने बनाई नई पार्टी, बीजेपी सरकार को देंगे समर्थन
पिछले दिनों कांग्रेस छोड़ने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण टी. राणे ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है। उन्होंने मीडिया के सामने महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष से नई पार्टी की घोषणा की है। पार्टी के ऐलान के साथ ही उन्होंने शिवसेना पर जोरदार हमला बोला। हालांकि, बीजेपी की तरफ उनका झुकाव देखने को मिला। कयास लगाया जा रहा है कि वो बीजेपी सरकार को अपना समर्थन दे सकते हैं।
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए राणे ने कहा कि शिवसेना को सिर्फ अखबारों और टीवी चैनलों ने जिंदा रखा हुआ है। बीजेपी को समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ दिन के अंदर उनकी पार्टी अपनी अगली रणनीति बनाएगी और उसी में बीजेपी को समर्थन देने पर फैसला होगा। वहीं बुलेट ट्रेन पर उठ रहे सवाल पर उन्होंने कहा कि वो बुलेट ट्रेन का विरोध नहीं करेंगे।
बता दें कि 19 सितंबर को राणे और उनके बेटे व पूर्व सांसद नीलेश ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने की घोषणा की थी। उसके बाद से लगातार अटकलें लगाई जा रही थी कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन आज उन्होंने मीडिया के सामने ऐलान किया कि वो ‘महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष’ के नाम से नई पार्टी बनाने जा रहे हैं।
राणे पिछले काफी समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करते हुए राणे ने आरोप लगाया था कि 12 साल पहले जब वह पार्टी में शामिल हुए थे तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया था, लेकिन पार्टी अपने वादे से मुकर गई। उन्होंने कहा कि वह जुलाई, 2005 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। पार्टी ने 12 वर्षो तक उनका इस्तेमाल किया, सम्मान नहीं दिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य कांग्रेस और शिवसेना जल्द ही खाली हो जाएगी, क्योंकि शिवसेना के 27 विधायक मेरे संपर्क में हैं और पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं।
65 वर्षीय राणे ने कहा, “मैंने कभी किसी पद का लालच नहीं किया, लेकिन पद मेरे पास आई और मुझे किसी प्रकार की शिकायत नहीं है।”उन्होंने कहा कि कई मौके पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने उन्हें छह महीने में मुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दिया, लेकिन एक वर्ष के दौरान भी कुछ नहीं हुआ।
राणे ने कहा, “यहां तक कि मैडम (सोनिया) ने भी मुझे दो बार मुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दिया, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। जब राहुल गांधी ने बिना मुझे पूछे पार्षद बनाया तो चह्वाण मेरा विरोध करने के लिए नई दिल्ली तक गए।”