ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम मे ध्यान और सुर-ताल का फिर होगा संगम
उत्तराखंड में ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में स्थित महर्षि महेश योगी की 84 कुटिया 50 साल बाद फिर से गुलजार होने जा रही है। महर्षि के इस ध्यान केंद्र के लिए फरवरी, मार्च और अप्रैल सबसे अहम महीने माने जाते हैं। अब खंडहर में तब्दील महर्षि का यह ध्यान केंद्र साठ से अस्सी के दशक में दुनिया के कई देशों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। इंग्लिश रॉक बैंड द बीटल्स से जुड़े लीवरपूल इंग्लैंड के चार युवकों जॉन लेनन, पॉल मैक कॉटनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टर के लिए साठ के दशक में महर्षि का यह ध्यान केंद्र आस्था का पवित्र स्थल बन गया था। इस ध्यान केंद्र ने 1968 में बीटल्स के इन चार युवकों की जिन्दगी ही बदल डाली थी। बीटल्स से जुडेÞ ये युवा फेब फोर के नाम से पूरी दुनिया में विख्यात थे।
इन्होंने तब एलान किया था कि वे नशे की दुनिया को छोड़कर महर्षि की ध्यान और अध्यात्म की दुनिया में प्रवेश करने जा रहे हैं। उन्होंने महर्षि से भावातीथ ध्यान की शिक्षा-दीक्षा ली। वे भारतीय वैदिक परंपरा की इस दुनिया में इतना ज्यादा लीन हो गए कि उन्होंने ओम शांति-ओम शांति का जाप करते हुए 48 गीतों की रचना कर डाली। जिन गीतों ने व्हाइट अल्बम और एबी रोड नामक पाश्चात्य संगीत के अल्बम में जगह पाई वे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। इस ध्यान केंद्र में अमेरिका की फेरो सिस्टर्ज मियां फेरो और प्रूडेंस फेरो से फेब फोर की यादगार मुलाकात हुई थी।
साठ के दशक में पश्चिमी देशों में भावातीत ध्यान का प्रचार कर रहे महर्षि महेश योगी ने उत्तराखंड की वादियों में भावातीत ध्यान केंद्र की स्थापना करने का मन बनाया। ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम में गंगा तट के पास महर्षि ने नदी के तट से 46 मीटर ऊपर स्थित उत्तरप्रदेश के वन विभाग से सन 1960 में 38 सालों के लिए लीज पर वन विभाग की भूमि ली। इसमें एक अमेरिकी महिला डोरिस ड्यूक द्वारा महर्षि महेश योगी को एक लाख डॉलर अनुदान के रूप में दी गई धनराशि से महर्षि ध्यान केंद्र और 84 कुटिया की स्थापना सन् 1963 में की गई। अपने जमाने में यह केंद्र दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र था। 84 कुटिया गुफाओं के आकार की बनी हुई हैं। बीच में ध्यान केंद्र बना हुआ है।
इसके पूरब और पश्चिम दिशा में 42-42 कुटियाएं बनी हुई हैं। इस ध्यान केंद्र में ध्यान साधकों के लिए 135 गुंबदनुमा कुटियाएं रहने के लिए बनी हुई हैं। साथ ही इस परिसर में अतिथियों के लिए तीन मंजिला अतिथि आवास गृह और एक बड़ा सभागार महर्षि ध्यान विद्यापीठ भवन और महर्षि महेश योगी का आवास बना हुआ है। हर कुटिया में लगे हुए गंगा नदी के छोटे-छोटे पत्थरों को शास्त्रीय योग मुद्राओं के 84 आसनों के रूप में अंकित किया गया है। 1983 से महर्षि ध्यान केंद्र की दुर्दशा के दिन शुरू हुए, जब इस वन क्षेत्र को भारत सरकार ने राजाजीराष्ट्रीय पार्क घोषित कर दिया। महर्षि महेश योगी 1983 में इस ध्यान केंद्र को छोड़कर चले गए। 35 साल में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने इस केंद्र की कोई सुध नहीं ली। यह केंद्र पर्यटन का एक बड़ा बन सकता था, साथ ही राज्य सरकार के लिए कमाई का एक अच्छा जरिया बन सकता था। परंतु सूबे के पर्यटन और वन विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।