मैं काशी का अविनाशी… विपक्ष को PM मोदी का जवाब, पढ़ें सबसे दिलचस्प इंटरव्यू,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में चुनावी मुद्दों के अलावा, अपने व्यक्तिगत जीवन और डेली रूटीन पर सवालों के जवाब दिए. पीएम ने ये भी बताया कि उन्हें राजनीति के अलावा और किन-किन चीजों में दिलचस्पी है.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में लोकसभा चुनाव के मुद्दों के अलावा, अपने व्यक्तिगत जीवन और डेली रूटीन पर सवालों के जवाब दिए. पीएम ने बताया कि उन्हें 73 की उम्र में भी इतनी एनर्जी कैसे मिलती है. प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि 4 जून को भारत के पहले पीएम नेहरू का रिकॉर्ड टूटेगा. केंद्र में तीसरी बार मोदी की सरकार बनेगी. अपने विरोधियों को जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मैं अविनाशी हूं. काशी अविनाशी है. मेरी सरकार की कोई एक्सपायरी नहीं है.” पढ़ें पीएम मोदी के इंटरव्यू की खास बातें:-
भी है जिंदा है मेरे अंदर का विद्यार्थी
पीएम कहते हैं, “जब आप जीवन भर एक विद्यार्थी की अवस्था में रहते हैं, तो मन से हमेशा फ्रेश रहते हैं. क्योंकि इस दौरान आपमें सीखने की प्रवृत्ति रहती है. सभी के शरीर की संरचना के भीतर भी मन की अवस्था बहुत बड़ी होती है. मेरे केस में मेरे अंदर का विद्यार्थी जीता रहता है. वो बिल्कुल जीवंत है. मेरी इच्छा हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने और नया समझने की होती है. उसी का नतीजा है कि मैं एनर्जेटिक लगता हूं.”
मन की रचना का है फर्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एनर्जी को समझाने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर और सितारवादक का उदाहरण दिया. मोदी ने कहा, “एक कंप्यूटर ऑपरेटर होता है. दिनभर कंप्यूटर पर हाथ चलाता रहता है. वो शाम को जब नौकरी करके घर जाता होगा, तब देखेंगे कि वो कितना थका-थका है. जबकि उम्र 50 साल भी नहीं होती है. दूसरी ओर, एक सितारवादक होता है. वो भी उंगली का खेल करते हैं. 80 साल की बाद भी देखेंगे कि वो कितने जीवंत हैं. वो कितने फ्रेश लगते हैं. इन दोनों में फर्क मन की रचना का है.”
पीएम मोदी ने कहा, “एक कंप्यूटर ऑपरेटर पूरे दिन काम के बाद थका-थका घर पहुंचता है, जबकि एक सितारवादक 80 की उम्र में भी जवां दिखता है. फर्क उम्र या ऊंगली नहीं, बल्कि मन की रचना का है.”
जब काम पूरा होता है तो उतर जाती है थकान
मोदी ने कहा, “दुनिया जैसे जीती है, वैसा तो सब जीते हैं. लेकिन अगर आप जीने का साइंस जानते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि संकटों से गुजरना पड़ता है. जब काम पूरा होता है, तब थकान उतर जाती है. जब काम पड़ा रहता है, तभी थकान लगती है. यानी काम करने से थकान दूर होती है. हमें एक्टिव रहना चाहिए.”
पीएम ने बताया जनता का कैसे बढ़ा भरोसा
पीएम मोदी ने कहा, “हिंदुस्तान के सभी जगहों पर, समाज के सभी वर्गों में, चाहे गांव हो या शहर, अशिक्षित हो या शिक्षित… हर एक में बीजेपी ने अपनी जगह बनाई है. ये एक लंबी तपस्या का परिणाम है, जो आज देश में बीजेपी के प्रति एक श्रद्धाभाव बना है. दूसरा- बीजेपी के पास एक संगठन की ताकत है. हमारी प्लानिंग बहुत बारीकी से होती है. यानी 30 वोटर पर कम से कम 1 कार्यकर्ता रहे. संगठन की शक्ति ही सारी चीजों को चैनलाइज करती है. मुझे लंबे समय से पार्टी की लीडरशिप का मौका मिला है. इससे मेरी एक पहचान बनी है. जब एक व्यक्ति की पहचान बनती है, तो उसका ट्रैक रिकॉर्ड एक भरोसा पैदा करता है. लोगों को हवाबाजी नहीं लगती. लोगों में भरोसा बना है कि हर स्टेप पर बीजेपी का एक लीडर है, जो उसकी मदद कर सकता है. इसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है.”
बीजेपी करती है नारी शक्ति का सम्मान
मोदी ने कहा, “जहां तक महिलाओं का सवाल है… तो मैं कहूंगा कि मुझे समाज के सभी वर्गों का सहयोग है. निश्चित तौर पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. ये भागीदारी सिर्फ चुनाव में नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में बढ़ रही है. देश सक्रिय है. अब महिलाओं को लगने लगा है कि वो भी देश के लिए कुछ कॉन्ट्रिब्यूट कर रही हैं. उनका विश्वास बन रहा है. इस चुनाव में भी महिलाओं का उत्साह है. बीजेपी के प्रति महिलाओं का जो झुकाव है, उसके पीछे की वजह है कि बीजेपी ने मातृ शक्ति पर बल दिया है. हमारी सरकार के कार्यक्रमों में भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ही स्थान दिया जाता है. ये वोट बैंक के लिए नहीं किया जाता. हमारा मानना है कि भारत की विकास यात्रा में अगर 50 फीसदी आबादी यानी नारी शक्ति जुड़ जाती है, तो हमारा देश तेजी से आगे बढ़ेगा.”
पीएम कहते हैं, “मैं लखपति दीदी बनाने का कार्यक्रम लेकर चल रहा हूं. 3 करोड़ लखपति दीदी बनने का मतलब है कि वो गांव की अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करेगी. इस बदलाव का फर्क तो पड़ता है.”
परमात्मा ने मुझे किसी उद्देश्य से भेजा
पीएम नरेंद्र मोदी से महात्मा मोदी तक के सफर में क्या जिम्मेदारियां बढ़ने का अहसास होता है? जवाब में पीएम मोदी कहते हैं, “हर एक की अपनी-अपनी भावना होती है. आपको मेरे लिए अपशब्द कहने वाले भी मिलेंगे और मेरे लिए अच्छी भावना दिखाने वाले भी. अगर अच्छी भावना पहुंचती है, तो उसे कोई ठेस न पहुंचे… ये देखना मेरा कर्तव्य है. मैं उस कर्तव्य को निभाने की कोशिश करता हूं.” मोदी कहते हैं, “बेशक कोई मुझे मूर्ख कह सकता है या पागल समझ सकता है, लेकिन मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि परमात्मा ने मुझे किसी उद्देश्य से धरती पर भेजा है. जब वो उद्देश्य पूरा होगा, तो परमात्मा मेरा काम भी पूरा कर देगा. मैं पूरी तरह से परमात्मा को समर्पित हूं. परमात्मा अपने पत्ते खोलता नहीं है. मुझसे करवाता रहता है.”
देश बनाने के लिए चलाता हूं सरकार
पीएम ने कहा, “हमारे देश का दुर्भाग्य है कि जो सरकारें चलाते हैं, उनके दिमाग में एक ही बात रहती है कि अगला चुनाव जीतने के लिए क्या खेल खेलें. मेरे दिमाग में ये बात नहीं रहती. मैं दोबारा सरकार बनाने के लिए सरकार नहीं चलाता हूं. मैं देश बनाने के लिए सरकार चलाता हूं. ये सरकार देश का भविष्य बनाने के लिए है. ये सरकार देश की भावी पीढ़ी का भविष्य बनाने के लिए है. वोट बैंक के हिसाब से न तो मैं सोचता हूं और न ही काम करता हूं. भगवान बचाए! मैं ऐसा करना भी नहीं चाहता.”
भारत की विकास यात्रा में कहां है पसमांदा समाज?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,”पसमांदा समाज के प्रति मेरा एक भाव है. अलग-अलग राज्यों में उनके नाम अलग-अलग हैं. उनकी हालत मैं देख चुका हूं. इसलिए मैं कहता हूं कि पसमांदा समाज में शिक्षा बढ़नी चाहिए. पसमांदा समाज के लोगों के एक अवसर मिलना चाहिए. भारत की विकास यात्रा में इतना बड़ा वर्ग भागीदार कैसे बने यही मेरा विषय है.”
पीएम मोदी ने कहा, “हिंदुओं की तरह मुसलमानों में भी जातियां हैं. लेकिन हमें इनके बारे में कम पता हैं. देश का इतना बड़ा वर्ग अगर देश की विकास यात्रा में भागीदार नहीं बनता है, तो इससे देश का नुकसान है. मेरे मन में हमेशा ये बात रहती है कि देश की विकास यात्रा में समाज के हर वर्ग और हर तबके के लोग शामिल हो. मेरा यह तरीका नहीं है कि वह हिंदू है तो उस पर ध्यान देना चाहिए, वह मुसलमान है तो उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए.”
भ्रम फैलाने में माहिर है कांग्रेस
मोदी ने कहा, “देश में भ्रम पैदा करना, वातावरण बदलना, नए-नए मुद्दे जोड़ते रहना और विपक्ष को ऐसे मुद्दों पर रिएक्ट करने के लिए मजबूर कर देना, कांग्रेस की एक सोची समझी रणनीति है. ऐसा करने से देश के मतदाताओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा. शायद टीवी मीडिया में स्पेस मिल जाए.”
आप सामर्थ्यवान होंगे तो बुराइयां चली जाएंगी
पाकिस्तान का मुद्दा तो फारुक अब्दुल्ला भी बीच-बीच में काफी उठाते हैं. वे कहते हैं कि पाकिस्तान से बात होनी चाहिए. इस बारे में सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि, ”ऐसा है कि ये सब लोग यही करते हैं. आतंकवाद के साथ लड़ाई लड़ने में उनको लगता था कि पाकिस्तान को संभाल लो तो आतंकवाद संभल जाएगा. हकीकत यह नहीं है…आप अगर सामर्थ्यवान होंगे तो बुराईयां चली जाएंगी. भारत को भी सशक्त होना पड़ता है. सशक्त होने का मतलब सेना और बंदूकें, पिस्तौलें.. वह नहीं होता है. अनेक क्षेत्रों में आपके अंदर सामर्थ्य बढ़ाना होता है.”
मेरी सरकार की कोई एक्सपायरी नहीं
मोदी सरकार जाने के विरोधियों के दावे पर पीएम मोदी ने कहा, “विपक्ष सच बोल रही है. ये सरकार तो 4 जून को खत्म होना ही है. उसके बाद नई सरकार बनेगी. मैं काशी का हूं. काशी अविनाशी है. मेरी सरकार की कोई एक्सपायरी डेट नहीं है.”
विपक्ष को नहीं मानता दुश्मन
पीएम मोदी ने कहा, “मैं विपक्ष को साथ लेकर चलना चाहता हूं. मैं किसी को कम नहीं आंकता हूं. वो 60-70 साल तक सरकार में रही है. उनके पास लंबा अनुभव है. मैं उनकी अच्छी चीजें सीखना चाहता हूं. मैं विरोध पक्ष को दुश्मन नहीं मानता. अगर उनके अनुभवी लोग मुझे कोई सलाह देना चाहते हैं तो मैं सुनने को तैयार हूं. विपक्ष को मीडिया और अखबारों में जो भी कहना है कहते रहें. लेकिन देश के हित में अगर कोई सुझाव है, तो उनका स्वागत है. देश कोई पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है. 140 करोड़ लोगों को इसे आगे बढ़ाने का अधिकार है.”
मोदी कहते हैं, “मैं विपक्ष को कोई टक्कर देने की चुनौती नहीं देता हूं.मैं विकास को उनकी पुरानी सोच से बाहर लाना चाहता हूं. मैं शासन, कानून-व्यवस्था को 18वीं शताब्दी में रखकर 21वीं शताब्दी का भविष्य नहीं बना सकता.”
रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म मेरा विजन
मोदी ने कहा, “मैं देश के हित में बदलाव लाना चाहता हूं. मेरा विजन रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म है. जब मैं रिफॉर्म की बात करता हूं, तो उसके लिए राजनीति इच्छा चाहिए. परफॉर्म करने के लिए उसमें ब्यूरोक्रेसी चाहिए. ऐसी ब्यूरोक्रेसी जो योग्यता के साथ एक डेडलाइन में काम कर सके. इससे ही ट्रांसफॉर्म आता है. यानी पॉलिटिकल लीडरशिप का विजन रिफॉर्म करता है. सिस्टम की कैपासिटी से ट्रांसफॉर्म दिखता है. परफॉर्म करने का काम जनभागीदारी से होता है.”
कोटि-कोटि लोगों को प्रेरणा देने वाला नाम है शिवशक्ति
चंद्रयान की लैंडिंग पॉइंट का नाम शिवशक्ति रहने पर कांग्रेस और विपक्ष के बाकी दलों ने आपत्ति जताई थी. विरोधियों को जवाब देते हुए पीएम ने कहा, “शिवशक्ति नाम देश का गर्व है. इस नाम से 140 करोड़ लोग खुद को जोड़ते हैं. अगर इसे छोड़कर कोई एक नाम रख लेता तो शायद एक परिवार जुड़ता या एक कुनबा जुड़ता. ज्यादा से ज्यादा एक संगठन जुड़ जाता. शिवशक्ति एक प्रेरक नाम है. सामर्थ्यवान नाम है. कोटि-कोटि लोगों को प्रेरणा देने वाला उनका मार्गदर्शन करने वाला नाम है.”NDTV.