पत्नी को मुखमैथुन के लिए मजबूर करना हिंसा, रेप नहीं: गुजरात सरकार

पत्नी पर मुखमैथुन करने के लिए दबाव बनाना घरेलू हिंसा है। यह बलात्कार या फिर आप्राकृतिक सेक्स की श्रेणी में नहीं आता है। ये बातें एक हलफनामे में गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट से कही हैं। राज्य सरकार की यह प्रतिक्रिया उस याचिका पर आई है, जिसमें महीने भर पहले कोर्ट ने सरकार के सामने एक अहम सवाल रखा था। कोर्ट ने याचिका में राज्य सरकार से तीन सवाल किए थे। तब पूछा गया था कि क्या अप्राकृतिक सेक्स भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत, रेप धारा 376 के अंतर्गत और शादीशुदा जीवन में मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न धारा 498ए के तहत आएगा? राज्य सरकार ने इस बाबत कहा कि शादीशुदा जोड़े के बलात्कार की परिभाषा में एक अपवाद है। यही वजह है कि मुखमैथुन के लिए पत्नी पर दबाव बनाना बलात्कार के आरोप में नहीं गिना जाएगा। सरकार का यह भी मानना है कि पत्नी की मंजूरी के बगैर पति का मुखमैथुन के लिए उस पर दबाव बनाना बेहद क्रूर है। ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए मान्य होती है।

उधर, दूसरे पक्ष की ओर महिला के वकील राजेश ने बताया कि मंजूरी के बगैर पत्नी के साथ मुखमैथुन करना सिर्फ और सिर्फ बलात्कार, आप्रकृतिक यौन संबंध और घरेलू हिंसा में आता है। दोनों पक्षों की ओर से जमा किए गए हलफनामे के बाद जस्टिस जेबी पर्दीवाला ने इस मामले फैसला सुरक्षित रख लिया है।

आपको बता दें कि मामला यहां के साबरकंठा जिला का है। यहां बीते महीने एक पत्नी ने पति के खिलाफ मुखमैथुन करने को लेकर पुलिस में शिकायत दी थी, जिसके बाद एफआईआर दर्ज हुई। जबकि, पति ने कोर्ट से दरख्वास्त की थी कि उस पर लगे आरोप हटाए जाएं। उसका कहना था कि पति-पति होने की वजह से वे सभी आरोप बलात्कार के तहत नहीं आते हैं।

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