मालेगांव ब्लास्ट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की अर्जी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से एक ही दिन में खारिज
मालेगांव ब्लास्ट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में एक ही दिन (चार सितंबर) सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) से मामले की जांच कराए जाने की मांग उठाई गई थी। कोर्ट ने उन्हें इस बाबत ट्रायल कोर्ट में अर्जी देने के लिए कहा है।
वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में पुरोहित और अन्य के खिलाफ निचली अदालत द्वारा आरोप तय करने पर रोक की मांग खारिज कर दी। दरअसल, निचली अदालत ने इस मामले में कर्नल और बाकी लोगों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुरोहित ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस पर रोक लगाने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रंजन गोगोई, नवीन सिन्हा और केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि पुरोहित की याचिका मामले के जारी ट्रायल में दखल दे सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पुरोहित को ट्रायल कोर्ट में अपने दावे पेश करने की अनुमति दी है। कोर्ट की ओर से यह निर्देश पुरोहित के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की उस बात पर सहमति बनने के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था- किसी को तो इस मामले में दखल देनी होगी।
SC declines to grant Col Srikant Purohit’s plea for a Court-monitored probe into his detention & torture in connection with Malegaon blasts case. SC however agreed with Adv Harish Salve that “some forum had to look into it” & allowed him to raise it in trial court @IndianExpress
— Ananthakrishnan G (@axidentaljourno) September 4, 2018
आपको बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक जिला स्थित मालेगांव इलाके में 29 सितंबर 2008 को इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईडी) धमाके हुए थे। घटना के दौरान छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग जख्मी हुए थे। हमलावर मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए थे। पुरोहित का नाम इस मामले में मुख्यसाजिशकर्ता के रूप में सामने आया था, जो कि इस वक्त जमानत पर बाहर हैं।
मालेगांव इलाका धार्मिक रूप से काफी संवेदनशील माना जाता है। महाराष्ट्र एटीएस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित सहित अन्य को आरोपी बनाते हुए चार हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। उससे पहले विशेष मकोका कोर्ट ने कहा था कि एसटीएस ने पुरोहित समेत अन्य को मकोका के तहत गलत ढंग से फंसाया गया था।