सड़क किनारे तड़प-तड़प कर 65 वर्षीय बुजुर्ग ने तोड़ दिया दम, नशे में सोच लोग लेते रहे मज़ा

केरल में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। एक 65 वर्षीय बुजुर्ग ने छह घंटे तक सड़क किनारे तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। इस दौरान वहां से कई लोग गुजरे लेकिन उनको लगा कि बुजुर्ग नशे में हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह दर्दनाक घटना राज्‍य के मलप्‍पुरम जिले की है। मृतक बुजुर्ग की पहचान चेलप्‍पन के तौर पर की गई है। वह सोमवार (12 मार्च) को जिले के वासुप्‍पडी इलाके में सुबह 11 बजे से ही सड़क किनारे तड़प रहे थे, लेकिन राहगीरों ने शाम पांच बजे पुलिस को इसकी सूचना दी थी। उन्‍हें तत्‍काल कुट्टीपुरम के तालुक अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया था। लोगों द्वारा संवेदनशीलता दिखाने पर चेलप्‍पन की जान बचाई जा सकती थी। वह मूल रूप से कोल्‍लम के रहने वाले थे और कुट्टीपुरम में पिछले 22 वर्षों से रह रहे थे। वह यहां एक सेल्‍समैन के तौर पर काम कर रहे थे।

कुट्टीपुरम के रहने वाले अजीराज ने बताया क‍ि स्‍थानीय लोग चेलप्‍पन को अच्‍छी तरह से जानते थे। उन्‍होंने चेलप्‍पन को केलट्रॉन बस स्‍टॉप के समीप सड़क किनारे तड़पते हुए भी देखा था, लेकिन उन्‍हें लगा क‍ि बुजुर्ग ने शराब पी रखी है। अजीराज के अनुसार, समीप के मंदिर में उत्‍सव चल रहा था जो 12 मार्च को ही समाप्‍त हुआ था। लोगों को लगा क‍ि चेलप्‍पन बहुत थकने के कारण सड़क किनारे सो गए हैं। जब तक लोगों को लगा क‍ि कुछ गड़बड़ है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पोस्‍टमॉर्टम के बाद ही चेलप्‍पन की मौत की वजहों का खुलासा हो सकेगा। उनके मुताबिक, बुजुर्ग के शरीर पर सनबर्न के निशान पाए गए हैं। पुलिस जब घटनास्‍थल पर पहुंची थी तो वह अचेत अवस्‍था में थे। दरअसल, चेलप्‍पन अक्‍सर ही शराब पीते रहते थे, ऐसे में लोग उनकी मदद के लिए सामने नहीं आए थे। हालांकि, कुछ देर बाद कुछ लोगों ने उन्‍हें आम के पेड़ के नीचे डाल दिया था। बाद में कुछ गड़बड़ी का आभास होने के बाद पुलिस को इसकी जानकारी दी गई थी। बता दें कि सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों की मदद के लिए सामने आने के लिए सरकार ने कानून में कई बदलाव किए हैं। हालांकि, इसके बावजूद सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों का सहयोग करने के लिए राहगीर सामने आने से डरते हैं। इसके कारण गोल्‍डन पीरियड में पीड़ित को अस्‍पताल न पहुंचाने पर अपूरणीय क्षति हो जाता है। कई बार तो उनकी मौत भी हो जाती है।

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