प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ के 46वें एडिशन में प्रर्यावरण, गणेश उत्सव से जुड़े मुद्दों पर की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 46वें एडिशन में प्रर्यावरण, गणेश उत्सव से जुड़े मुद्दों पर बात की है। रविवार (29 जुलाई, 2018) को ऑल इंडिया रेडियो के जरिए पीएम मोदी ने कहा कि देश में अच्छी बारिश की खबर है। हालांकि बारिश की वजह से चिंता की भी बात है। कुछ जगहों पर अभी भी लोग बारिश का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए लोगों का दायित्व है कि वो प्रकृति प्रेमी बने। प्रधानमंत्री ने थाईलैंड में गुफा फंसे बच्चों के जीवन संघर्ष और उनके बचाव अभियान पर भी बात की। पीएम मोदी ने मशहूर कवि गोपालदास नीरज को श्रद्धांजलि दी, 19 जुलाई को दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम के संदेश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इनके संदेश न केवल जन सामान्य को शिक्षित करने का बल्कि अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने का समाज को मंत्र देते हैं।
आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम जैसे अनगिनत संत आज भी जन-सामान्य को शिक्षित कर रहे हैं, अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने की ताकत दे रहे हैं और हिंदुस्तान के हर कोने में यह संत परंपरा प्रेरणा देती रही है।’’ उन्होंने कहा कि चाहे वो उनके भारुड हो या अभंग हो हमें उनसे सद्भाव, प्रेम और भाईचारे का महत्वपूर्ण सन्देश मिलता है। मोदी ने कहा कि ऐसे संतों ने समय-समय पर समाज को रोका, टोका और आईना भी दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि कुप्रथाएँ समाज से खत्म हों और लोगों में करुणा, समानता और शुचिता के संस्कार आएं। उन्होंने कहा कि हमारी यह भारत-भूमि बहुरत्ना वसुंधरा है जहां सर्मिपत महापुरुषों ने, इस धरती को अपना जीवन आहुत कर दिया। एक ऐसे ही महापुरुष हैं लोकमान्य तिलक जिन्होंने भारतीयों के मन में अपनी गहरी छाप छोड़ी है।
मोदी ने कहा, ‘‘हम 23 जुलाई को तिलक जी की जयंती और एक अगस्त, को उनकी पुण्यतिथि पर उनका पुण्य स्मरण करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक के प्रयासों से ही सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा शुरू हुई। सार्वजनिक गणेश उत्सव परम्परागत श्रद्धा और उत्सव के साथ-साथ समाज-जागरण, सामूहिकता, लोगों में समरसता और समानता के भाव को आगे बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि उस कालखंड में जब अंग्रेजों के खिलाŸफ लड़ाई के लिए एकजुट होने की जरूरत थी, तब इन उत्सवों ने जाति और सम्प्रदाय की बाधाओं को तोड़ते हुए सभी को एकजुट करने का काम किया।
उन्होंने कहा, ‘‘समय के साथ इन आयोजनों की प्रसिद्धि बढ़ती गई।’’ मोदी ने कहा कि इसी से पता चलता है कि हमारी प्राचीन विरासत और इतिहास के हमारे वीर नायकों के प्रति आज भी हमारी युवा-पीढ़ी में लगाव है। यह एक टीम के रूप में काम करने और नेतृत्व और संगठन जैसे गुण सीखने का अवसर है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान 1916 में लोकमान्य तिलक की अहमदाबाद यात्रा और उनके निधन के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा अहमदाबाद में उनकी एक प्रतिमा लगाने की घटना का जिक्र किया । 1929 में इसका उद्घाटन महात्मा गाँधी ने किया था।