मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में फैसले के बाद इस्तीफा देने वाले जज काम पर लौटे, हाई कोर्ट ने छुट्टी भी कैंसिल कर दी
मक्का मस्जिद बम धमाका मामले में फैसला सुनाने के कुछ घंटे बाद इस्तीफा देने वाले एनआईए के विशेष न्यायाधीश के रविंद्र रेड्डी गुरुवार (18 अप्रैल) को काम पर लौट आए। हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने न सिर्फ रेड्डी का इस्तीफा खारिज कर दिया, बल्कि जज द्वारा मांगी गई 15 दिनों की छुट्टी भी रोक ली। रंगनाथन ने रेड्डी को तत्काल काम पर वापस लौटने का आदेश दिया। चतुर्थ अपर मेट्रोपोलिटन सेशन्स जज रेड्डी ने 16 अप्रैल को मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में फैसला सुनाने के बाद ही इस्तीफे के कागजात दाखिल कर दिए थे।
अपने फैसले में रेड्डी ने स्वामी असीमानंद समेत 5 आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके कुछ ही घंटे बाद मेट्रोपोलिटन सेशन्स जज और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर रेड्डी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। एनआईए की विशेष अदालत ने 16 अप्रैल को फैसले में कहा था कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए कोई भी आरोप साबित नहीं हुए।
फैसला आने के बाद जज की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। पीटीआई से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ”कोई विशेष अलर्ट नहीं हैं, लेकिन फैसले के बाद उनके (जज रेड्डी) के घर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।” रेड्डी फिलहाल हाई कोर्ट के विजिलेंस विभाग की जांच से गुजर रहे हैं। एक याचिकाकर्ता ने भूमि विवाद से जुड़े एक मामले में रेड्डी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने आरोपी को जमानत देने में ‘गैरजरूरी जल्दबाजी’ दिखाई।
मामले की विस्तार से जांच की अपील करते हुए शिकायतकर्ता कृष्ण रेड्डी ने दावा किया था कि जज ने ‘स्थापित मान्यताओं’ के खिलाफ जाकर उस आरोपी को राहत दे दी, जिसकी अग्रिम जमानत लेने की 5 कोशिशें विभिन्न अदालतों में नाकाम हो चुकी थीं।
रेड्डी 2016 में हाई कोर्ट द्वारा निलंबित किए जा चुके हैं। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच न्यायाधीशों के बंटवारे के खिलाफ प्रदर्शन करने तथा तेलंगाना में एक अलग उच्च न्यायालय का गठन करने की मांग करने के कारण उन्हें 2016 में निलंबित किया था। तब रेड्डी तेलंगाना न्यायाधीश एसोसिएशन के अध्यक्ष थे।