अमेरिकी वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में आरोप: आलोचक मीडिया संस्थानों को परेशान कर रही भारत सरकार

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की वर्ष 2017 के लिए वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत में सरकार के आलोचक रहे मीडिया संस्थानों पर कथित तौर पर दबाव बनाया गया या उन्हें परेशान किया गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2017 के लिए अपनी वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा, ‘‘(भारत के) संविधान ने वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है लेकिन प्रेस की आजादी का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है। (भारत की) सरकार आमतौर पर इन अधिकारों का सम्मान करती है लेकिन कुछ ऐसे मामले भी हुए हैं जिनमें सरकार ने अपने आलोचक मीडिया संस्थानों को कथित रूप से परेशान किया और उन पर दबाव बनाया।’’ विदेश मंत्रालय की इस वार्षिक रिपोर्ट में दुनिया के लगभग सभी देशों में मानवाधिकार की स्थिति बताई जाती है।

रिपोर्ट में कहा गया कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में मानवाधिकार की स्थिति कहीं बेहतर है। लेकिन, इसमें उन प्रमुख घटनाओं को भी शामिल किया गया जिन्हें भारत में प्रेस की आजादी पर हमले के रूप में देखा गया। यह रिपोर्ट ऐेसे वक्त आई है जब ट्रंप प्रशासन पर भी प्रेस की आजादी पर हमले के आरोप लग रहे हैं। रिपोर्ट में एनडीटीवी पर सीबीआई के छापे, अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक पद से बॉबी घोष की विदाई, कार्टूनिस्ट जी बाला की गिरफ्तारी का जिक्र किया गया है ।

देश विभाग ने कहा है कि 2017 में कुछ पत्रकारों और मीडियार्किमयों को न्यूज कवरेज के वक्त कथित रूप से हिंसा का सामना करना पड़ा या उन्हें परेशान किया गया।
रिपोर्ट में पत्रकार गौरी लंकेश तथा शांतनु भौमिक की हत्या का भी उल्लेख किया गया है ।

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