ओडिशा में एक महिला ने एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर सड़क किनारे बच्चे को जन्म दिया
ओडिशा के रायागदा में एक महिला ने रविवार (28 जनवरी) को एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर सड़क किनारे बच्चे को जन्म दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची और मजबूरन महिला की डिलीवरी सड़क किनारे करवाई गई। स्थानीय मीडिया के अनुसार गोलापी हिकाका नाम की महिला को शनिवार (27 जनवरी) की रात प्रसव पीड़ा उठी थी, जिसके बाद परिजनों ने जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के तहत एंबुलेंस का सेवा लेनी चाही। परिजनों ने 102 नंबर पर फोन करके एंबुलेंस बुलाई। एंबुलेंस के लिए रविवार करीब पांच बजे फोन किया गया था। महिला को रिश्तेदारों ने किसी तरह कंधे पर ढोकर नदी पार कराई थी। परिजनों का कहना है कि घंटों इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आई। गोलापी की हालत बिगड़ने पर घरवालों ने उसे पास के कल्याणसिंहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने का निश्चय किया लेकिन हालत न संभलने पर रास्ते में ही उसकी डिलीवरी करानी पड़ी।
महिला के परिवार के एक सदस्य ने स्थानीय मीडिया को जानकारी दी- ”जब एंबुलेंस नहीं आई तो हमने सोचा कि महिला को ऑटो रिक्शा से अस्पताल ले जाया जाए। हम लोग मुख्य मार्ग पर पहुंचने ही वाले थे कि महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया।” हालांकि रायागदा के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी एसपी पाधी ने एंबुलेंस न पहुंचने के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जिस वक्त महिला ने बच्चे को जन्म दिया तब एंबुलेंस मौके पर पहुंच चुकी थी और एक आशा वर्कर डिलीवरी के समय वहां मौजूद थी। पाधी ने बताया कि मां और बच्चा दोनों की हालत ठीक है। उनकी देखभाल की जा रही है। नियमों के मुताबिक उन्हें 48 घंटों के लिए अस्पताल में रखा जाएगा। महिला के रिश्तेदारों ने दावा किया कि महिला और बच्चा सड़क पर सर्दी से कंपकंपा रहे थे जिसके लिए उन्होंने आग जलाई थी।
बता दें कि चिकित्सकीय उदासीनता का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले और भी मामले सामने आ चुके हैं। सरकार और प्रशासन के लाख दावों के बावजूद धरातल पर स्थिति में ज्यादा सुधार नजर नहीं आ रहा है। सरकार ने जननी सुरक्षा योजना इसलिए शुरू की ताकि गर्भवति महिलाओं को समय पर सुरक्षित तरीके से चिकित्सा केंद्र तक लाया जा सके, लेकिन उम्मीद के मुताबिक इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है।