सीएम महबूबा मुफ्ती ने भारत-पीओके की सीमाएं खोलने की वकालत की

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर के बीच तमाम रास्तों को खोलने और लोगों को यहां से वहां और वहां से यहां आने-जाने देने की वकालत की है। शुक्रवार (2 फरवरी) को विधान सभा में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की समस्या का जिक्र करते हुए कहा, “मेरे मुताबिक यहां की समस्या का अगर कोई समाधान है तो वो मुफ्ती साहब का विजन है कि आप यहां के तमाम रास्तों को खोल दो, लोगों को आमे-जाने दो क्योंकि हम कहते हैं कि वो कश्मीर (पाक अधिकृत कश्मीर) भी हमारी रियासत का हिस्सा है।” महबूबा ने सवालिया लहजे में कहा, “इसमें क्या मुश्किल है? इस कश्मीर और उस कश्मीर के लोग आपस में मिलें, बात करें। कोई टूरिज्म की बात हो, डिजास्टर मैनेजमेंट की बात हो। जब भूकंप आया था अगर उस समय हमारा राब्ता होता को शायद हम बहुत लोगों को की जान बचा सकते थे।”

इसके साथ ही महबूबा ने कहा कि राज्य से विवादित सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) हटाने का यह सही वक्त नहीं है। उन्होंने शोपियां गोलीकांड में सेना द्वारा दर्ज कराई गई काउंटर एफआईआर को भी सही ठहराया। उन्होंने कहा कि हमें मामले के समाधान के लिए दोनों पक्षों की बातों पर गौर करना होगा। महबूबा से इतर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शोपियां में नागरिकों की हत्या के मामले की जांच स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को सौंपने को कहा है।

बता दें कि 27 जनवरी को कश्मीर के शोपियां में तीन क्विक रिएक्शन टीमों समेत सेना की बीस गाड़ियां घनपुरा की ओर जा रही थीं। रास्ते में इस काफिले की चार गाड़ियां अलग हो गईं। उसी वक्त कुछ प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी। उन्होंने सेना के काफिले के ऊपर भी पत्थर फेंके। काफिले पर हमले के बाद सुरक्षाबलों की ओर से गोलीबारी की गई। इस फायरिंग में दो युवा प्रदर्शनकारियों जावेद अहमद और सुहेल अहमद की मौत हो गई थी। इस मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने रणबीर पैनल कोड की धारा 302 (मर्डर) और धारा 307 (मर्डर की कोशिश) के तहत सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई थी। इस एफआईआर में एक मेजर का नाम भी शामिल है।

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