लता मंगेशकर की आवाज के कायल थे मेहदी हसन, फिर भी नहीं सुन पाए साथ गाया एकमात्र गीत

लता मंगेशकर और मेहदी हसन गायकी की दुनिया के दो ऐसे नाम हैं जिनकी आवाज लोगों के दिलों पर राज करती है। जहां मेहदी हसन की आवाज लोगों के दिलों पर राज करती थी। वहीं मेहदी हसन लता मंगेशकर की आवाज के कायल थे। उनकी दिली तमन्ना थी कि वह एक बार लता मंगेशकर के साथ गाना गाए। मेहदी हसन ने लता जी के साथ गाना भी गाया लेकिन वह खुद उस गाने को सुन नहीं पाए।

मेहदी हसन ने जल्द ही गायकी में वह मुकाम हासिल कर लिया था कि लोगों उन्हें शहंशाह-ए-गजल नाम दे दिया। लता मंगेशकर ने भी उनके बारे में कहा था कि ‘ऐसा लगता है कि उनके गले में भगवान बोलते हैं। वहीं मेहदी हसन भी लता जी की गायकी के कायल थे। वह हमेशा से लता मंगेशकर के साथ गीत गाना चाहते थे लेकिन जब उन्होंने लता जी के साथ गाना गाया वह उस गीत को सुन नहीं पाए। क्योंकि उससे पहले ही मेहदी हसन का निधन हो गया था।

मेहदी हसन लता मंगेशकर के साथ एक गाना रिकॉर्ड करना चाहते थे। उन्होंने अपनी इस दिली तमन्ना के बारे में मशहूर शायर फरद शहज़ाद को भी बताया था। जब तक लता जी के साथ रिकॉर्डिंग की बात हुई तब तक मेहदी हसन की तबीयत नासाज रहने लगी। वह भारत आकर लता के साथ रिकॉर्डिंग नहीं कर सकते थे। तब साल 2009 में फरद शहज़ाद की एक गजल को मेहदी हसन की आवाज में रिकॉर्ड किया गया और बाद में मुंबई में लता मंगेशकर की आवाज में रिकॉर्ड किया गया।

इसके बाद साल 2010 में यह गाना सरहदें की एलबम में एचएमवी ने रिलीज किया। यह गाना मेहदी हसन और लता मंगेशकर का एकमात्र डुएट सॉन्ग है। इस गीत के बोल हैं, ‘तेरा मिलना अच्छा लगे है’।

मेहदी हसन पाकिस्तान के मशहूर गजल गायक थे, बीमारी के चलते साल 2012 में 13 जून को उनका निधन हो गया था। मेहदी हसन का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं में हुआ था लेकिन 1947 विभाजन के दौरान वे पाकिस्तान चले गए थे। पाकिस्तान में परिवार का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने मेकेनिक का भी किया। साल 1957 में उन्हें पाकिस्तानी रेडियो पर ठुमरी गाने का मौका मिला और इस तरह उनके सिंगिग करियर शुरू हुआ था।

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