मेट्रो किराए पर राहत देने की तैयारी कर रही नरेंद्र मोदी सरकार!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार मेट्रो किराए में राहत देने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय मेट्रो के किराए में कटौती करने पर विचार कर रहा है। इंडिया टुडे.कॉम ने अपनी रिपोर्ट् में सूत्रों के मुताबिक लिखा है कि 5-12 और 12-21 किलोमीटर के दो स्लैब में किराया पांच रुपए तक घटाया जा सकता है। शहरी विकास मंत्रालय दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की मूल्य निर्धारण समिति को प्रस्तावित किराए पर विचार करने के लिए कह सकता है। साथ ही रिपोर्ट में लिखा गया है कि बच्चों और सीनियर सिटीजन नागरिकों के लिए डीएमआरसी नई किराया स्कीम भी शुरू की जा सकती है। बता दें, दिल्ली मेट्रो ने हालही में अपना किराया बढ़ाया है। पिछले पांच महीने में मेट्रो का दो बार किराया बढ़ चुका है।
दिल्ली मेट्रो के किराए में बढ़ोतरी का मुद्दा दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद की एक वजह बन गया था। आम आदमी पार्टी ने मेट्रो किराए में बढ़ोतरी को लेकर बुधवार से सत्याग्रह करने का फैसला किया था। वहीं दिल्ली भाजपा ने मेट्रो किराए में बढ़ोतरी को गलत बताते हुए इसके लिए दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है। दिल्ली भाजपा का कहना है कि केजरीवाल सरकार आखिरी पल तक इस मुद्दे पर चुप बैठी रही।
बता दें, दिल्ली विधानसभा ने मेट्रो किराया बढ़ोत्तरी के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया है था। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पहले से ही मेट्रो किराया बढ़ोत्तरी का विरोध कर रही थी। लेकिन डीएमआरसी ने इसके बाद भी किराए में बढ़ोतरी की। जिसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने मेट्रो किराये में वृद्धि के खिलाफ शहर व्यापी प्रदर्शन करने की घोषणा की और आरोप लगाया कि किराये में वृद्धि का फैसला रेडियो कैब संचालकों को ‘फायदा’ पहुंचाने के लिए किया गया। आप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि किराये में वृद्धि मेट्रो को हो रहे नुकसान को कम करने के लिए की गयी और कहा कि अगर किराये में वृद्धि हुई तो इससे यात्रियों की संख्या पर सीधा असर होगा।
उन्होंने कहा था कि आप फैसले की वापसी की मांग के लिए ‘सत्याग्रह’ शुरू करेगी और बुधवार से सभी मेट्रो स्टेशनों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेगी तथा गुरूवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के कार्यालय निर्माण भवन का घेराव करेगी। उन्होंने कहा था, ‘किराया बढ़ाने का मोदी सरकार का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और कटुता के साथ किया गया है। वे (मंत्रालय) कहते हैं कि मेट्रो को नुकसान हो रहा है लेकिन यह सच नहीं है। ऐसा कैसे हुआ कि नुकसान पिछले एक साल से बढ़ने लगें।’