मनीचेंजर, हवाला को जरिया बना नेपाल में खपाए गए 500-1000 रुपए के पुराने नोट
निर्भय कुमार पांडेय
देश में नोटबंदी लागू हुए करीब डेढ़ साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी चलन से बाहर हो चुके 500-1000 रुपए के नोटों का काला कारोबार जारी है। मनीचेंजर और हवाला कारोबारियों के जरिए चलन से बाहर हो चुके नोटों को नेपाल भेजा जा रहा है। इस बारे में बैंक से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि हो सकता है कि काले धन को सफेद करने के लिए यह रास्ता अपनाया जा रहा हो। अधिकारी आगे कहते हैं कि इस पर सभी का ध्यान उस समय गया, जब जनवरी में कानपुर में 96 करोड़ के 500-1000 रुपए के नोट पकड़े गए थे और करीब 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने भी आशंका जताई थी कि यह मोटी रकम नेपाल भेजी जानी थी। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस सिसोदिया का कहना है कि देश में जब पुराने नोट चलन से बाहर हुए, तब से काले धन को नेपाल भेज कर सफेद किया जा रहा है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता। बीच-बीच में ऐसी खबरें आती भी रहती हैं। हो सकता है कि मनीचेंजर और हवाला कारोबारियों से संपर्क साध कर कुछ लोगों ने अपने काले धन को सफेद किया हो। हालांकि उनका यह भी कहना था कि यह साफ नहीं हो सका है कि नेपाल की राजधानी काठमांडो के नेपाल राष्ट्रीय बैंक के पास 500-1000 रुपए के कितने नोट जमा किए गए होंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी काली कमाई को सफेद करना चाहते हैं, उन्हें इस कार्यप्रणाली को अपनाने से कोई गुरेज नहीं होगा।
दस हजार करोड़ तक पहुंचा आंकड़ा
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस वक्त नेपाल राष्ट्रीय बैंक में करीब दस हजार करोड़ के 500-1000 हजार के नोट जमा हो चुके होंगे। उन्होंने बताया कि इतनी मोटी रकम में कुछ पैसे नेपाल के आम नागरिकों के भी होंगे, जिन्होंने नोटबंदी के बाद इन्हें नेपाल राष्ट्रीय बैंक में जमा करवाया। शुरुआत में यह आंकड़ा 4.72 हजार करोड़ रुपए के आसपास था और अनुमान है कि अब यह आंकड़ा दस हजार करोड़ रुपए के पार हो चुका है।
नेपाल में अमान्य हैं नए नोट
देश में हुई नोटबंदी के बाद 2000, 500, 200, 50 और 10 रुपए केनए नोटों का चलन नेपाल में पूरी तरह से अमान्य है। हालांकि सीमावर्ती क्षेत्रों में छोटे-मोटे दुकानदार इन्हें ले लेते हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर नेपाल सरकार ने नए नोटों पर प्रतिबंध लगा रखा है। साथ ही नेपाल सरकार ने 500 रुपए और 1000 रुपए के पुराने नोट भी खुले बाजार में अमान्य घोषित कर दिए हैं।
कसीनो में चल रहे थे पुराने नोट
काठमांडो में बड़ी संख्या में कसीनो हैं, जहां पर रोजाना भारी तादाद में लोग जुआ खेलने आते हैं। नेपाली मीडिया रिपोर्ट की मानें तो हाल के महीनों तक अधिकतर कसीनो में 500-1000 रुपए के पुराने नोटों से जुआ खेला जा रहा था।
आम नागरिकों को परेशानी नहीं
नेपाल के आम लोगों को नोट नहीं चलने से कोई दिक्कत नहीं है। परेशानी केवल उन लोगों को है जो या तो अवैध कारोबार करते हैं या तस्करी के कारोबार से जुड़े हैं। नेपाल के आम नागरिकों की जरूरत का सामान वहां के छोटे दुकानदार बड़ी आसानी से मुहैया करा देते हैं, जिनकी भारत और नेपाल दोनों जगह दुकानें हैं।
गलत नीतियों का उठाया फायदा
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष आलोक खरे का कहना है कि अगर सरकार शुरुआत में ही नेपाल राष्ट्रीय बैंक को कह देती कि जितने भी रुपए हैं, उसे एक तय समयसीमा के बाद नहीं बदला जाएगा तो शायद लोग काले धन को सफेद करने के लिए उसका इस्तेमाल नहीं कर पाते। अभी तक इस पर सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकी है। यही कारण है कि नेपाल में नोटबंदी के बाद बड़े स्तर पर पुराने नोटों को खपाया गया। उन्होंने कहा कि कानपुर में पुराने नोटों के साथ कुछ लोगों को पकड़ा गया तो यह मामला उजागर हुआ, लेकिन जो लोग नहीं पकड़े गए, वे अपनी काली कमाई नेपाल भेजने में सफल हो गए।
कारोबार पर पड़ रहा असर
नेपाल प्रदेश नंबर-2 उद्योगवाणी महासंघ के उपाध्यक्ष अशोक वैद्य का कहना है कि नोटबंदी के बाद से नेपाल में व्यापार पर काफी असर पड़ा है। नेपाल और भारत सरकार अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं निकाल सकी है। इसका खमियाजा व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है। साथ ही आम लोगों पर भी इसका असर पड़ रहा है। वैद्य का कहना है कि सरकार को इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए।