बुंदेलखंड के चंदेलकालीन तालाबों को मुक्त कराने हेतु निकली गई शवयात्रा, कल होगी तेरहवीं
बुंदेलखंड के चंदेलकालीन तालाबों को कब्जाधारियों से मुक्त कराने अनूठा आंदोलन शुरू हुआ है। कुछ जागरूक युवाओं ने तालाबों की शवयात्रा निकाली। बाकायदा प्रयागराज इलाहाबाद जाकर अस्थि विसर्जन किया। अब 27 जून को छतरपुर शहर में तालाबों की तेरहवीं का आयोजन किया जा रहा है। प्रशासनिक तंत्र पर कटाक्ष करने वाले इस आंदोलन के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है। आरोप लग रहे हैं कि भूमाफिया और प्रशासनिक गठजोड़ के कारण ही तालाबों का रकवा दिनोदिन कम होता जा रहा है। जबकि स्वयं मुख्यमंत्री ने छह माह पूर्व खजुराहो में आयोजित जल सम्मेलन में तालाबो के सीमांकन कराए जाने की घोषणा की थी।
यूं तो छतरपुर शहर के तालाबों की वेनिस से तुलना की जाती थी। सरकारी दस्तावेजों में 11 तालाब दर्ज हैं लेकिन चार तालाबों को अतिक्रमण निगल गया, जिनके अब अवशेष तक नही बचे हैं। शेष बचे सात तालाबों का रकवा भी दिनोदिन सिमटता जा रहा है। साफ देखा जा सकता है कि तालाबों की जमीन पर किस तरह आलीशान कोठियां और मकान बन गए हैं। खासकर किशोर सागर तालाब तो पूरी तरह कब्जे की चपेट में है। प्रशासनिक तंत्र को जगाने के लिए छतरपुर शहर के कुछ युवाओं ने अनूठा आंदोलन शुरू किया। चंदेलकालीन तालाबों को बचाने के लिए तालाब बचाओ और कब्जा हटाओ मुहिम के तहत 14 जून को तालाबों की शवयात्रा निकाली गई। शहर की मुख्य सड़कों से गुजरती हुई यह शवयात्रा छत्रसाल चौराहे पर पंहुची।
जहां मुख्य चौराहे पर तालाबों का अंतिम संस्कार किया गया। बैंड बाजे के साथ शवयात्रा में कुछ युवा सिर मुंढवा कर हांडी लेकर चले। तीन दिन बाद प्रयागराज जाकर गंगा में अस्थि विसर्जन किया गया। अब 27 जून को छत्रसाल चौराहे पर तेरहवीं का कार्यक्रम किया जा रहा है। तालाब बचाओ मुहिम के संयोजक राजेंद्र अग्रवाल, सौरभ तिवारी, दिलीप सेन बताते है कि तालाबों पर कब्जे की खबरें हमेशा सुखिर्यो में रही है। प्रशासनिक तंत्र कब्जाधारियों से मिला हुआ है। तभी हाल ही गर्मी के दिनो में किशोर सागर तालाब को मलवा डाल कर भरवा दिया गया।
तालाबों का सीमांकन करवाकर कब्जा हटाने को प्रशासन तैयार नहीं है। जब कोई सुनने वाला नहीं दिखा तो तालाबों का अंतिम संस्कार करना उचित समझा। जो एक कटाक्ष है प्रशासनिक अमले और सरकार पर। गौरतलब है कि पिछले साल 20 दिसंबर को खजुराहो में जल सम्मेलन आयोजित हुआ था। जिसमें अन्ना हजारे सहित राजेन्द्र सिंह जैसी शख्सियत मुख्य वक्ता थे। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने घोषणा की थी कि बुंदेलखंड के ऐतिहासिक तालाबों का सीमांकन कराया जाएगा। घोषणा के बाद सीमांकन होना तो दूर तालाबों पर तेजी से माफिया का कब्जा हो रहा है।