उम्रकैद की सजा पाए शख्स ने कैंसर को हराया, सजा काटने के दौरान ही की 6 डिप्लोमा और 1 डिग्री हासिल
पढ़ाई-लिखाई में न तो उम्र और न ही माहौल आड़े आता है। तमिलनाडु के पुझल सेंट्रल जेल से 29 वर्ष बाद रिहा हुए वी. चंद्राक्सन ने इसे साबित किया है। हत्या के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। चंद्राक्सन को वर्ष 1989 में गिरफ्तार किया गया था। तबसे वह जेल में ही बंद था। इस दौरान मेडिकल जांच में उसे गले का कैंसर होने की बात सामने आई थी। जेल विभाग ने ही उसका इलाज करवाना शुरू किया था। चंद्राक्सन की रिहाई में कैदी सुधार विभाग के अधिकारियों का बड़ा योगदान है। उनकी पहल पर ही उसे जेल से रिहा किया गया। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, पांच साल पहले चंद्राक्सन का मेडिकल टेस्ट कराया गया था। रिपोर्ट में उसके स्वास्थ्य में बेहतर तरीके से सुधार होने की बात सामने आई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य के आधार पर उसकी रिहाई पर रोक लगा दी गई थी। रज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री एमजी. रामचंद्रन की जयंती के मौके पर चंद्राक्सन समेत उम्रकैद की सजा पाए 67 कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया था। चंद्राक्सन ने सजा काटने के दौरान ही कैटरिंग और होटल मैनेजमेंट में 6 डिप्लोमा और एक डिग्री कोर्स कर डाला। उसने बेहतर इलाज और पढ़ाई में सहयोग करने के लिए जेल अधिकारियों का धन्यवाद किया है।
जेल के बाहर भावुक हुआ माहौल: जेल से छूटने वाले लोगों को लेने के लिए बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदार भी आए थे। वर्षों बाद खुली हवा में सांस लेने और परिजनों से मिलने के कारण जेल के बाहर का माहौल काफी भावुक हो गया था। जेल के बाहर इंतजार करने वाले एक पिता ने बताया कि सुबह में उनके पास एक फोन कॉल आया था, जिसमें उनके बेटे की रिहाई की सूचना दी गई थी। उन्होंने बताया कि उनके लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और कुछ नहीं हो सकती थी। जेल से छूटने वाले वी. जानकीरमण (50) ने बताया कि एक पल की मूर्खता की कीमत उन्होंने 16 वर्षों तक चुकाई। सजा काटने के दौरान कई कैदियों ने डिप्लोमा और ग्रैजुएशन का कोर्स किया। इन्हीं में से एक 36 वर्षीय ई. कुलंदई ईशु ने बताया कि उसे 19 वर्ष की उम्र में गिरफ्तार किया गया था। वह 17 साल तक जेल में रहा और इस दौरान उसने पीजी और डिप्लोमा का कोर्स किया। उसे जब गिरफ्तार किया गया था तब वह 9वीं कक्षा में पढ़ रहा था।