एक मुसलमान ने अपनी सालों की बचत कर कराया पं. बंगाल के इस हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार
एक तरफ पश्चिम बंगाल कुछ दिन पहले तक सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा था, तो वही अब दूसरी तरफ इसी पश्चिम बंगाल से एक ऐसी खबर आई है जो नज़ीर है सांप्रदायिक सौहार्द की। यह खबर आईना है समाज में जाति और धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले उन लोगों को जिन्हें ना तो धर्म का असली अर्थ मालूम है और जिन्हें ना ही धार्मिक सौहार्द से कोई मतलब है। पश्चिम बंगाल में एक मुस्लिम शख्स ने अपनी सारी जिंदगी की पूंजी खर्च कर हिंदुओं के भगवान हनुमान जी की मंदिर का जीर्णोधार कराया है। जी हां, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के रहने वाले इस शख्स ने धार्मिक सौहार्द की वो मिसाल पेश की है जो बरसों तक याद रखी जाएगी। पुरुलिया के रहने वाले मोहम्मद पप्पू पेशे से छोटे व्यवसायी हैं। अपनी कमाई के एक बड़े हिस्से को खर्च कर मोहम्मद पप्पू ने इस मंदिर का हुलिया ही बदल दिया। खास बात यह भी कि इस नए मंदिर का उद्घाटन रामनवमी के दिन ही हुआ। यह मंदिर पुरुलिया के वार्ड नंबर-21 में स्थित है।
इस बारे में मोहम्मद पप्पू का कहना है कि जब वो बच्चे थे तो अक्सर इसी मंदिर के सामने ही वो खेला करते थे। उस वक्त मंदिर पर किसी का उतना ध्यान नहीं था। उसी वक्त मैंने सोचा कि मंदिर को फिर से बनवाना और उसकी दीवारों का रंगरोगन एक दिलचस्प काम है। अब 20 साल के हो चुके पप्पू ने कहा कि मंदिर के पुनर्निमाण में पूरे तीन महीने का वक्त लगा। पप्पू ने कहा कि उन्होंने मूर्ति को खुद अपनी हाथों से धोया था।
अपने बचपन के सपने को पूरा होते देख उत्साहित पप्पू ने बतलाया कि यहां रहने वाले स्थानीय हिंदूओं से मैंने पहले पूछा कि क्या मैं हनुमानजी के इस मंदिर को फिर से साफ-सुथरा और पेंट कर सकता हूं। उन लोगों ने मुझसे कहा था कि इसपर कोई रोक नहीं है। पप्पू के बचपन के मित्र राजाराम ने बतलाया कि पप्पू के बचपन की ख्वाहिश थी कि वो इस मंदिर का फिर से निर्माण कराए।
इधर पुरुलिया म्यूनसिपैलिटी के अध्यक्ष ने कहा कि पप्पू ने जो कुछ किया है वो बंगाल के सभ्यता और संस्कृति को दिखलाता है।आपको बता दें कि 25 मार्च को पुरुलिया से करीब 30 किलोमीटर दूर अर्शा में एक 50 वर्षीय युवक शेख शाहजहां की हत्या करने के बाद पूरे पश्चिम बंगाल में दंगा भड़क उठी थी। इस दिन अर्शा में 5 पुलिस वाले जख्मी हुए थे और इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।