एशिया कप जीतकर बोलीं मैरी कॉम- मेरा हर पदक है संघर्ष की दास्तान

एम सी मैरी कॉम के अनुसार, उनका हर पदक संघर्ष की दास्तान है लेकिन एशियाई चैम्पियनशिप का पांचवां स्वर्ण पदक इसलिए भी खास है क्योंकि पिछले एक साल में रिंग के बाहर कई भूमिकाएं निभाने के बावजूद उन्हें यह हासिल हुआ है। पांच बार की विश्व चैम्पियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मैरी कॉम ने बुधवार को इतिहास रच दिया जो एशियाई चैम्पियनशिप में पांच पदक जीतने वाली पहली मुक्केबाज बन गईं।मैरी कॉम ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘यह पदक बहुत खास है। मेरे सभी पदकों के पीछे संघर्ष की कहानियां रही हैं। हर पदक के पीछे कोई नया संघर्ष रहा है। मुझे उम्मीद है कि सांसद बनने के बाद मिला यह पदक मेरी साख में बढ़ोत्तरी करेगा। मेरा कद और बढ़ेगा।’’

शीर्ष स्तर की मुक्केबाज होने के साथ 35 बरस की मैरी कॉम राज्यसभा सांसद और भारत में मुक्केबाजी की सरकारी पर्यवेक्षक भी हैं। इसके अलावा वह तीन बच्चों की मां हैं। इसके अलावा इम्फाल में उनकी अकादमी भी है जिसे वह अपने पति ओनलेर कोम के साथ मिलकर चलाती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सक्रिय सांसद हूं। नियमित रूप से संसद जा रही हूं और चैम्पियनशिप के लिए भी कड़ी तैयारी की। चूंकि मैं सरकारी पर्यवेक्षक हूं तो सारी बैठकों में भी भाग लेना होता है। उम्मीद है कि लोग समझेंगे कि यह कितना कठिन है।’’

मैरी कॉम ने कहा, ‘‘मैं कई भूमिकाएं निभा रही हूं। मैं एक मां भी हूं जिसे तीन बच्चों का ध्यान रखना होता है। मुझे पता नहीं कि मैं कैसे सब कुछ कर पाती हूं।’’ मैरी कॉम भारत ही नहीं बल्कि विश्व में महिला मुक्केबाजी का चेहरा रही हैं जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने उन्हें 2010 में ‘मैग्नीफिसेंट मैरी’ का उपनाम दिया। मैरी कॉम ने कहा, ‘‘एशियाई चैम्पियनशिप के बाद मुझे आईओसी एथलीट फोरम में भाग लेने लुसाने जाना है। अब मुझे यात्राओं से नफरत हो गई है। इससे मैं थक जाती हूं पर आप जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकते।’’

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *