भगवान विष्णु ने किया एक पतिव्रता स्त्री के साथ छल! जानें श्रीमद्भागवत के अनुसार क्या है कथा

श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार जलंधर नाम का असुर भगवान शिव का अंश था। जलंधर बहुत ही शक्तिशाली असुर था। उसने इंद्र देव को पराजित करके तीनों लोकों का स्वामी बन गया था। भागवत पुराण के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव ने अपना तेज क्रोध के कारण समुद्र में फेंक दिया था। जिससे जलंधर उत्पन्न हुआ और उसकी पत्नी वृंदा अपने पतिव्रता धर्म का पालन करती थी जिस कारण उसकी शक्ति दोगुनी हो गई थी। इसी का अभिमान जालंधर को हो गया था और उसने तीनों लोकों में सभी को परेशान कर दिया था।

जलंधर जानता था कि ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली महादेव है। इसी कारण तीनों लोकों को जीतने के बाद उसने विष्णु लोक पर हमला कर दिया था और माता लक्ष्मी को ले जाने की योजना बनाई। माता लक्ष्मी ने जंलधर से कहा कि वो दोनों भाई-बहन क्योंकि दोनों ही जल से उत्पन्न हुए हैं वो उन्हें नहीं ले जा सकता। जलंधर माता लक्ष्मी की बात मान गया, लेकिन उसने कैलाश पर्वत पर हमला कर दिया और माता पार्वती को अपने साथ ले जाने लगा। इस पर माता पार्वती ने क्रोध किया और भगवान शिव ने उस पर आक्रमण किया। भगवान शिव का प्रहार जलंधर पर निष्फल हो गया क्योंकि असुर जलंधर की पत्नी का पतिव्रता धर्म मजबूत था।

जलंधर को हरा नहीं पाने के कारण सभी देवों ने चाल चली और भगवान विष्णु जलंधर का रुप धारण करके वृंदा के पास चले गए। इसके बाद वृंदा का पतिव्रता धर्म भ्रष्ट हो गया। वहां दूसरी तरफ भगवान शिव और जलंधर के युद्ध में भगवान शिव ने प्रहार किया जिससे जलंधर की मृत्यु हो गई। जब ये बात वृंदा को पता चली तो उसने क्रोध में आत्मदाह कर लिया। वृंदा की राख से तुलसी का पौधा निकला। इसी के आधार पर तुलसी को वृंदा का रुप माना जाता है। भगवान विष्णु को उनके इस कर्म का सबसे ज्यादा दुख होता है। इसी के बाद से माना जाता है कि विष्णु को माता लक्ष्मी से प्रिय तुलसी हैं।

 

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