इस सप्ताह वुहान शिखर सम्मेलन में चीन से नही होगा कोई समझौता, सहमति बनाने की होगी कोशिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग फग इस सप्ताह वुहान शिखर सम्मेलन में किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे और न ही कोई संयुक्त बयान जारी करेंगे , लेकिन वे पारस्परिक विश्वास कायम करने और लंबित मुद्दों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचने का प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी मध्य चीन के वुहान शहर में होने वाले अनौ पचारिक शिखर सम्मेलन के लिए 27 अप्रैल को चीन पहुंचेंगे। चीन के उप विदेश मंत्री कोंग जुआनयू ने दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के बारे में यहां मीडिया से कहा, ‘दोनों पक्ष किसी समझौते पर हस्ताक्षर न करने या कोई संयुक्त दस्तावेज जारी न करने , लेकिन लंबित मुद्दों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने नेताओं के इस तरह का शिखर सम्मेलन करने का कारण बताते हुए कहा कि यह अनौपचारिक शिखर सम्मेलन अपने आप में इस तरह का पहला सम्मेलन है और दोनों देशों में इस तरह का कोई पूर्व उदाहरण नहीं है।

कोंग ने कहा , अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में दोनों नेता अति महत्वपूर्ण मुद्दों पर दिल से दिल की चर्चा करेंगे और विश्वास कायम करने तथा लंबित मतभेदों के समाधान पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। ’’ यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत में डोकलाम मुद्दा और सीमा विवाद का मुद्दा भी उठेगा , कोंग ने कहा कि डोकलाम प्रकरण विश्वास की कमी की वजह से हुआ था। उन्होंने कहा, दोनों देशों को सीमा मुद्दे के समाधान के लिए स्थितियां और विश्वास बनाने की जरूरत है। ’’ कोंग ने कहा कि राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी दोनों का रणनीतिक विजन और ऐतिहासिक दायित्व है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों को उनके लोगों का व्यापक समर्थन है। दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों को बड़ा महत्व दिया है और इस संबंध को बढ़ाने के लिए काफी मेहनत की है।’’ कोंग ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में वे 10 बार मिले, एक-दूसरे की राजधानियों और गृह नगरों का दौरा किया।

वे कई बहुपक्षीय अवसरों पर भी मिले।’’ उन्होंने कहा कि अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में वे पिछले 100 साल से अधिक समय में अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में न देखे गए बड़े बदलावों पर रणनीतिक चर्चा करेंगे। वे द्विपक्षीय संबंधों में दीर्घकालिक और रणनीतिक महत्व के द्विपक्षीय संबंधों तक पहुंच के मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करेंगे। कोंग ने कहा कि विचारों का यह आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच पारस्परिक विश्वास को गहरा करेगा तथा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश तथा उद्देश्य तय करेगा। यह चीन-भारत सहयोग में नयी संभावनाएं भी खोलेगा। इस तरह का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों और लोगों को फायदा पहुंचाएगा, साथ ही क्षेत्र में और इससे परे शांति एवं विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि शिखर सम्मेलन के बाद दोनों देश बैठक में बनी आम सहमति को क्रियान्वित करेंगे जिससे कि यह सुनिश्चत हो सके कि चीन-भारत संबंधों में एक नए शुरुआती बिन्दु पर बेहतर और त्वरित विकास दिखे।’’ कोंग ने कहा कि वुहान में मोदी अत्यंत सुविधाजनक जगह पर ठहरेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘चीनी पक्ष कुछ अद्वितीय प्रबंध करेगा। यहां तक कि कुछ इंतजाम भारतीय पक्ष की उम्मीदों के परे होंगे।’’ कोंग ने कहा, ‘‘मैं सुरक्षा कारणों से ब्यौरा जारी नहीं कर सकता। दोनों नेता वुहान में दो दिन गुजारेंगे। इन दो दिनों में वे एक-दूसरे से विभिन्न मंचों पर बात करेंगे। मैं आपको यहां जो बता सकता हूं, वह यह है कि वे एक-दूसरे के साथ आमने सामने काफी समय गुजारेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आमने-सामने की बातचीत अक्सर दूसरे देशों में नहीं दिखती है। उपयोगी सूचना समय पर विस्तार के साथ जारी की जाएगी।’’ कोंग ने कहा, ‘‘नेता विगत में बहुपक्षीय अवसरों पर 30 मिनट या एक घंटे के लिए मिले। वे बैठकें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन बहुपक्षीय अवसरों पर बैठकों में व्यक्तिगत बातचीत अधिकतर रस्मी बैठकें होती हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में भारतीय और चीनी दोनों पक्षों ने नए स्वरूप के बारे में सोचा। इस बार हम अनौपचारिक शिखर सम्मेलन करने का पहला प्रयास करेंगे। मुझे विश्वास है कि दोनों पक्षों के संयुक्त प्रयासों से यह नया स्वरूप उम्मीदों पर खरा उतरेगा।’’

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