होने जा रहा किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन, सब्जी, फल और दूध तक की रोकेंगे सप्लाई

देशभर के 10 लाख बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अब लाखों किसानों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राष्ट्रीय किसान महासंघ के आह्वान पर देशभर के 130 किसान संघों ने आगामी एक जून से 10 जून तक बड़े शहरों में अनाज, सब्जी, फल और दूध की सप्लाई रोकने की चेतावनी दी है। इस दौरान देशभर के किसान नो तो अपनी उपज या उत्पाद शहरों में पहुंचाएंगे और न ही शहरों से कुछ लाएंगे। इससे देशभर में खासकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे महानगरों में हाहाकार मच सकता है। किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक अभिमन्यू कोहर ने मिरर नाऊ से कहा कि उनका मकसद देशवासियों को कष्ट पहुंचाना नहीं है। इसलिए इस दौरान लोग अपनी घरेलू जरूरतों के लिए सीधे गांव आकर फल, सब्जी, दूध, अनाज खरीद सकते हैं। इसके लिए लोगों को लागत कीमत पर पचास फीसदी ज्यादा का भुगतान करना होगा।

किसानों की कुल तीन मांगें: कोहर ने बताया कि किसान संघों की कुल तीन मांगे हैं। पहली मांग कर्जमुक्ति है। उन्होंने कहा कि वो कर्ज माफी नहीं कर्जमुक्ति चाहते हैं क्योंकि माफी तो अपराधियों को दी जाती है जबकि किसानों ने तो देश के पेट भरा है। अन्न का भंडार भरा है। उन्होंने कहा कि उनकी दूसरी मांग किसानों को उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना है। कोहर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनावों से पहले अपनी चुनावी सभाओं में कहा था कि उनकी सरकार बनेगी तो लागत मूल्य में 50 फीसदी जोड़कर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी उनकी सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा सकी है। उन्होंने कहा कि पांचवें साल में भी सरकार अब ए टू प्लस एफएल में 50 फीसदी जोड़कर देने की बात कह रही है। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ सरकार की जुमलेबाजी नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग सी टू लागत मूल्य में 50 फीसदी जोड़कर एमएसपी देने की है। कोहर ने कहा कि सब्जी और दूध का भी एमएसपी दिया जाय। तीसरी मांग के तौर पर किसानों की आय सुनिश्चित करना है।

6 जून को श्रद्धांजलि सभा: कोहर ने बताया कि 6 जून को देशभर में किसान श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करेंगे। पिछले साल मध्य प्रदेश के मंदसौर में आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हुई थी। 10 दिनों तक सप्लाई रोकने से फल-सब्जियों की बर्बादी के सवाल पर कोहर ने कहा कि किसान इस दौरान होने वाले नुकसान के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को कहा गया है कि इस दौरान गरीब बस्तियों में जाकर लोगों को सब्जी-फल फ्री में बांट दें। पिछले साल की तरह किसान इस साल अपने उत्पाद सड़कों पर नहीं फेकेंगे।

इन जिलों में हो सकता है तनाव: किसान भले ही आंदोलन को राष्ट्रव्यापी कह रहे हों लेकिन सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश में देखने को मिल सकता है। वहां मंदसौर, रतलाम, नीमच, शाजापुर, होशंगाबाद, हरदा, रायलेम, राजगढ़, देवास, खंडवा, छिंदवाड़ा, मुरैना समेत करीब दो दर्जन जिलों में किसान पिछले साल भी आंदोलन कर चुके हैं। इसलिए यहां फिर से उनका जोर होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *