नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ हत्या के मामले में सुनवाई: पंजाब के मंत्री ने इस तरह किया अपना बचाव
पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और उन्हें इस केस में गलत तरीके से आरोपी बनाया गया। गुरुवार (22 मार्च) को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। सिद्धू के वकील ने कहा कि यह एक गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं है और इस केस के कई अहम गवाहों के बयान को दर्ज नहीं किया गया था। सिद्धू के वकील ने कहा कि इस मामले में निचली अदालत द्वारा दिया गया फैसला सही है और इस फैसले को देने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया गया था। बता दें कि 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू को इस मामले से राहत दी थी और केस डिसमिस कर दिया गया। सिद्धू के वकील ने कहा कि मृतक व्यक्ति के मेडिकल रिपोर्ट में यह लिखा था कि जिस शख्स की घटना में मौत हुई थी उसे हल्की चोट लगी थी। सिद्धू ने भी पहले कहा था मृतक गुरनाम सिंह का दिल कमजोर था और ये बात पोस्टमार्टम में भी साबित हुई थी।
बता दें कि इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने साल 2006 में सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया था और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने सिद्धू और रुपिन्दर सिंह सिद्धू को आईपीसी की धारा 304 (II) सिद्धू ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी और 2007 में उनकी सजा को निलंबित कर दिया। अदालत में सिद्धू के वकील ने कहा कि पंजाब और हरियाणा कोर्ट का फैसला सही नहीं है क्योंकि अदालत ने सेशन कोर्ट के जजमेंट का विश्लेषण नहीं किया था।
क्या है मामला: 27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू अपने दोस्त रुपिन्दर सिंह सिद्धू के साथ पटियाला के शेरावाले मार्केट घुमने गये थे। वहां पर कार पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह से उनकी बहस हो गई। बात बढ़ते-बढ़ते मारपीट तक आ पहुंची। रिपोर्ट्स के मुताबिक सिद्धू ने गुरनाम सिंह को धक्का दे दिया, जिसके कारण वह सड़क पर गिर गये। गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मरा हुआ घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम में सामने आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है।