पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आजीवन सार्वजनिक पद के अयोग्य ठहराया
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट के निर्णय के बाद अब वह आजीवन सार्वजनिक पद पर काबिज नहीं हो पाएंगे। इसके साथ ही शरीफ का चुनाव लड़ना भी प्रतिबंधित हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 अप्रैल) को व्यवस्था दी कि संविधान के अनुच्छेद 62(1)(f) के तहत अयोग्य ठहराने का प्रावधान आजीवन है। पाकिस्तानी संविधान के इस अनुच्छेद के तहत सांसदों के लिए पूर्व शर्त निर्धारित किए गए हैं। इसके अनुसार, संसद के सदस्यों का सादिक और आमीन (ईमानदार और सदाचारी) होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने एकमत से यह फैसला दिया है।
नवाज शरीफ को 28 जुलाई, 2017 में जस्टिस आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने पनामा पेपर लीक मामले में संविधान के इसी अनुच्छेद के तहत दोषी ठहराया था। इसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री के पद से हटना पड़ा था। नवाज ने अयोग्यता की मियाद को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। उनके अलावा इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता जहांगीर तारीन को भी 15 दिसंबर को इसी प्रावधान के तहत आयोग्य ठहराया गया था। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद नवाज और जहांगीर आजीवन सार्वजनिक पद पर काबिज नहीं हो सकेंगे।
‘देश अच्छे चरित्र का नेता पाने का हकदार’: हाईप्रोफाइल मामले की सुनवाई पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मियां सादिक निसार की अध्यक्षता वाली पीठ ने किया था। फैसला देने से पहले सीजेपी ने टिप्पणी की थी कि देश अच्छे चरित्र वाले नेताओं का हकदार है। जस्टिस उमर अता बंडियाल ने फैसले को पढ़ा था। उन्होंने कहा, ‘भविष्य में अनुच्छेद 62(1)(f) के तहत अयोग्य ठहराए जाने वाले संसद सदस्य और लोकसेवक पर लगाया जाने वाला प्रतिबंध स्थायी होगा। ऐसा व्यक्ति न तो चुनाव लड़ सकता है और न ही संसद का सदस्य बन सकता है।’ सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी को इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई पर अटॉर्नी जनरल अश्तार औसाफ ने दलील दी थी कि यह सु्प्रीम कोर्ट का काम नहीं है कि वह अनुच्छेद 62(1)(f) के तहत अयोग्यता को आजीवन करार दे या फिर उसकी अवधि निर्धारित करे। इस पर फैसला लेने का दायित्व संसद पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए। औसाफ ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि इस पर मामले के आधार पर अयोग्यता की सीमा तय की जानी चाहिए।