NCERT किताबों के लिए स्कूलों में खुलेंगी छोटी दुकानें

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से जुड़े देशभर के स्कूलों में एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों का उपयोग सुनिश्चित करने के मकसद से बोर्ड ने अप्रैल 2017 के अपने एक परिपत्र में संशोधन करते हुए स्कूल परिसर में छोटी दुकान (टक शॉप) खोलने की अनुमति देने का निर्णय किया है।
सीबीएसई के उप सचिव के श्रीनिवासन की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सीबीएसई से जुड़े स्कूलों में एनसीईआरटी पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनसे अपनी जरूरत के अनुसार मांग पत्र पेश करने को कहा है। स्कूलों को सलाह दी गई है कि शैक्षिक सत्र 2018-19 के लिए स्कूल एनसीईआरटी पुस्तक संबंधी लिंक पर पंजीकरण कराएं। परिपत्र के मुताबिक, छात्रों में पुस्तकों का वितरण करने के उद्देश्य से स्कूल परिसरों में एक छोटी दुकान (टक शॉप) खोली जा सकती है। इस दुकान के माध्यम से छात्रों की जरूरत के अनुरूप स्टेशनरी व अन्य सामग्री बेचने की अनुमति भी दी जाएगी।

इसमें कहा गया है कि इस संबंध में 19 अप्रैल 2017 का परिपत्र संशोधित किया जाता है। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने देश के सभी सीबीएसई स्कूलों को एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों का उपयोग सुनिश्चित कराने पर जोर दिया है। कुछ ही दिन पहले मंत्रालय की एक समीक्षा बैठक में यह बात प्रमुखता से उठी और मंत्रालय ने स्कूलों में एनसीईआरटी पुस्तक सुनिश्चित कराने को कहा था। इस कदम से लाखों की संख्या में अभिभावकों को राहत मिलेगी क्योंकि सीबीएसई स्कूल लोगों को निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी के मुकाबले बहुत ज्यादा महंगी होती है। मंत्रालय की ओर से एनसीईआरटी को देशभर में पर्याप्त संख्या में पुस्तकें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है, ताकि बच्चों को पुस्तकें मिल सकें और अभिभावकों का बोझ कम किया जा सके। स्कूलों और अभिभावकों की शिकायत थी कि एनसीईआरटी की किताबें समय पर उपलब्ध नहीं होती हैं।

 कई अभिभावकों ने स्कूल निजी प्रकाशकों की काफी महंगी किताबें बेच रहे हैं। समीक्षा बैठक में ऐसी शिकायतें सामने आर्इं कि स्कूल निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें बेचने के अलावा पेंसिल, स्टेशनरी आदि भी मनमाने दामों पर बेचते हैं। ये चीजें अगर अभिभावक बाजार से खरीदें तो उनको बहुत कम खर्च पड़ेगा। ऐसी भी शिकायतें आई हैं कि निजी प्रकाशक स्कूल के प्रमुखों के कई तरह के खर्च उठा रहे हैं। इससे पहले, 19 अप्रैल 2017 के परिपत्र के माध्यम से सीबीएसई ने स्कूलों से अपने परिसर में व्यावसायिक तरीके से पाठ्य पुस्तकें, नोटबुक और यूनिफार्म की बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया था, साथ ही एनसीईआरटी और सीबीएसई की पाठ्य पुस्तकों का उपयोग करने के निर्देश दिए थे।

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