इस महिला मेयर ने दफ्तर आते ही पलटा बीजेपी का फैसला, मीटिंग में ‘वंदे मातरम’ गाना जरूरी नहीं

उत्‍तर प्रदेश में निकाय चुनाव के परिणाम आने के बाद देश के सबसे बड़े राज्‍य में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने कमान संभालना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही पूर्ववर्ती प्रमुखों के फैसलों को पलटने का दौर भी प्रारंभ हो गया है। ताजा मामला मेरठ नगर निगम का है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नवनिर्वाचित मेयर सुनीता वर्मा ने नगर निगम की बैठकों में ‘वंदे मातरम’ गाने की बाध्‍यता को खत्‍म करने का फैसला लिया है। भाजपा के मेयर ने इसे अनिवार्य किया था। मालूम हो कि प्रदेश में सत्‍तारूढ़ दल भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 16 नगर निगम से 14 पर कब्‍जा कर लिया था। वहीं, बसपा के खाते में मेयर के दो पद गए थे।

रज्‍य के दो बड़े मेरठ और अलीगढ़ नगर निगम पर बसपा ने कब्‍जा किया था। मतलब इन दोनों शहरों में मेयर पद बसपा के खाते में गया। मेरठ की मेयर सुनीता ने पदभार संभालते ही भाजपा के मेयर की ओर से लिए गए फैसलों को पलटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस क्रम में सबसे पहले उन्‍होंने बोर्ड मीटिंग में ‘वंदे मारतम’ गाने के प्रावधान को खत्‍म किया है। विपक्षी दल के सदस्‍यों ने इस फैसले का विरोध किया, लेकिन सुनीता वर्मा पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। वह अपने फैसले पर अड़ी रहीं। मेयर ने कहा, ‘नगर निगम के संविधान में राष्‍ट्रगान गाने का प्रावधान है, वंदे मातरम का नहीं। इसमें कोई विवाद नहीं है। प्रत्‍येक बोर्ड मीटिंग में सिर्फ ‘जन गण मन’ही गाया जाएगा।’ इस मसले पर टकराव बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं।

भाजपा ने मेयर के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। पार्टी के मेरठ प्रमुख करुणेश नंदन गर्ग ने कहा कि भाजपा इस कदम के खिलाफ बोर्ड के अंदर और उसके बाहर संघर्ष करेगी। उन्‍होंने कहा, ‘यदि मेयर अपनी बातों को जबरन लादने की कोशश करेंगी तब वैसी स्थिति में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पार्षद इसके विरोध में सड़क पर राष्‍ट्रगीत गाएं।’ नवनियुक्‍त मेयर सुनीता वर्मा के इस फैसले से भाजपा और बसपा में टकराव बढ़ने की आशंका गहरा गई है। आने वाले दिन में ही पता चलेगा कि ‘वंदे मातरम’ पर छिड़ा नया विवाद क्‍या रंग लाता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *