सौभाग्य’ की बिजली

प्रधानमंत्री ने सोमवार को ‘सौभाग्य’ या सहज बिजली हर घर योजना नाम से विद्युतीकरण के जिस कार्यक्रम की घोषणा की, वह लक्ष्य के लिहाज से अपने आप में कोई नई बात नहीं है। यूपीए सरकार के दौरान राजीव गांधी ग्राम विद्युतीकरण योजना का मकसद भी सब तक बिजली पहुंचाना ही था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी, 2015 में अठारह हजार से ज्यादा गांवों के विद्युतीकरण का काम एक हजार दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा था। एक साल बाद स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि जो अवधि तय की गई थी उसका आधा भी नहीं बीता है, पर आधे ज्यादा काम हो चुका है, और अठारह हजार में से दस हजार गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है। इस दावे के मुताबिक अब बहुत थोड़ा काम बचा होना चाहिए। उस शेष को चुपचाप पूरा करने के बजाय क्या एक नए नाम से नई योजना जरूरी थी? यह कोई हैरत की बात नहीं है। कल्याणकारी योजनाओं को नए-नए रूप में या नए-नए नाम से पेश करने और चुनावी राजनीति का गहरा रिश्ता है। बहरहाल, सरकार ने विद्युतीकरण का जो नया कार्यक्रम पेश किया है उसका इस तरह की पिछली योजनाओं से एक फर्क लक्षित किया जा सकता है। पिछली योजनाओं में जोर ग्रामीण विद्युतीकरण पर, यानी वंचित गांवों तक बिजली पहुंचाने पर था, जबकि नई योजना में वंचित परिवारों या घरों तक बिजली कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है।

यह शायद विद्युतीकरण का आखिरी दौर होगा, और पहले की अपेक्षा कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण भी, क्योंकि अब बिजली कनेक्शन से वही परिवार वंचित हैं जो दुर्गम इलाकों में या बहुत दूरदराज के गांवों में रहते हैं। इसलिए स्वाभाविक ही नई योजना के लिए आबंटित राशि 16,320 करोड़ रु. का बड़ा हिस्सा यानी 12,320 करोड़ रु. ग्रामीण क्षेत्रों पर व्यय होगा। केंद्र सरकार इस योजना के तहत साठ फीसद धन मुहैया कराएगी। विशेष श्रेणी के राज्यों में केंद्र की हिस्सेदारी पचासी फीसद होगी। राज्य सरकारें दस फीसद धन मुहैया कराएंगी। विशेष श्रेणी के राज्यों में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ पांच फीसद होगी। केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी के अलावा बाकी धन बैंक-ऋण के जरिए जुटाया जाएगा। इस योजना के लिए पहले 2019 की समय-सीमा तय की गई थी, जिसे घटा कर दिसंबर 2018 कर दिया गया। योजना की उपयोगिता जाहिर है। बिजली की उपलब्धता घरेलू जीवन की सहूलियतों के अलावा तरक्की के लिए भी जरूरी है। फिर, पर्यावरण के लिहाज से भी यह उपयोगी है, क्योंकि इससे केरोसिन लैंप का इस्तेमाल बंद होगा। इस तरह इसे उज्ज्वला योजना की अगली कड़ी की तरह भी देख सकते हैं।

सौभाग्य योजना के तहत, गरीब परिवारों को, जिनकी पहचान 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आधार पर की जाएगी, कनेक्शन मुफ्त मिलेगा, वहीं बाकी लोगों को महज पांच सौ रुपए में यह मुहैया कराया जाएगा। दूरदराज या दुर्गम इलाकों में बिजली मुहैया कराने के लिए सौर ऊर्जा जैसेवैकल्पिक स्रोतों का भी सहारा लेना होगा, जिसे प्रोत्साहन देना जलवायु संकट के दौर में वैसे भी सरकार का कर्तव्य है। लेकिन बिजली का कनेक्शन मिल जाना काफी नहीं है, बिजली की आपूर्ति भी सुनिश्चित होनी चाहिए। यह किसी से छिपा नहीं है कि अनेक राज्यों में करोड़ों लोग किस हद तक बिजली की आपूर्ति बाधित रहने का रोना रोते रहते हैं। इसलिए संपूर्ण विद्युतीकरण के साथ-साथ सरकार को बिजली की आपूर्ति में संतोषजनक सुधार लाने का भी भरोसा दिलाना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *