NGT ने UP सरकार और नोएडा विकास प्राधिकरण को लगाई फटकार, कहा- आप व्यवस्था का मजाक उड़ा रहे हैं
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषणकारी तत्व पीएम 10 का स्तर 900 से अधिक होने के बावजूद निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के अपने आदेश का पालन नहीं होने पर उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा विकास प्राधिकरण से नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि वे व्यवस्था का मजाक उड़ा रहे हैं। एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश और प्राधिकरण के अधिकारियों से प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्योरा मांगा। पीठ ने आदेश के बावजूद निर्माण सामग्री खुले में पड़े होने के आरोपों वाली याचिका पर सुनवाई की।
पीठ ने कहा, ‘‘आपको मानवाधिकारों के प्रति कोई सम्मान नहीं है। यह बहुत खराब स्थिति है। आप लोगों का सम्मान नहीं करते। पीएम 10 का स्तर 900 से अधिक है। आप हमारे आदेश के प्रति समान रूप से बाध्य हैं क्योंकि आप दिल्ली-एनसीआर का हिस्सा हैं। आप व्यवस्था का मजाक उड़ा रहे हैं।’’ एक याचिका में दावा किया गया कि नोएडा के सेक्टर 71 से लेकर सेक्टर 78 तक निर्माण कार्य निर्बाध तरीके से चल रहा है और खुले में पड़ी रेत, ईंटें तथा मलबा लोगों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ, दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाकर 11 नवम्बर के सम-विषम के आदेश में संशोधन करने की मांग की है। एनजीटी ने प्रदूषण से निपटने के लिए महिलाओं और दो पहिया वाहनों को सम-विषम योजना से छूट देने से इंकार किया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दायर आवेदन में योजना से महिला चालकों को छूट देने की मांग करते हुए कहा गया है कि इससे महिलाओं की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। इसने मांग की कि एक वर्ष के लिए छूट की अनुमति दी जाए जब तक सरकार लाखों यात्रियों से निपटने के लिए दो हजार बस नहीं खरीद लेती है।
आवेदन में कहा गया है, ‘‘योजना को लागू करने से दो पहिया चालकों को काफी परेशानी होगी। इससे महिला चालकों की सुरक्षा भी प्रभावित होगी।’’ आवेदन पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है। इसमें कहा गया है, ‘‘अगर छूट वाली सूची से महिला चालकों को छूट नहीं दी जाती है तो संभावना है कि महिला यात्री भीड़भाड़ वाली बसों में यात्रा करने में सहज महसूस नहीं करेंगी।’’ इसने कहा, ‘‘सार्वजनिक बसों में भीड़भाड़ के कारण महिला यात्री सुरक्षा कारणों से बसों में सवारी करने से बचना चाहेंगी, इसलिए योजना का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।’’