नीति आयोग के प्रमुख ने बीजेपी शासित राज्यों पर देश के विकास को पीछे ले जाने का लगाया आरोप
नीति आयोग के प्रमुख अमिताभ कांत ने सोमवार को कहा कि भारत के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों के राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन कुछ राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कारण देश पीछे जा रहा है। नीति आयोग के मुखिया अमिताभ कांत ये बात समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कही। वह नई दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के खान अब्दुल गफ्फार खान मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अमिताभ कांत ने कहा कि, ‘कुछ राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान भारत को पीछे ले जाने के लिए जिम्मेदार हैं। खासतौर पर सामाजिक मानकों पर। ऐसे वक्त में जब हम कारोबार करना आसान बनाने में जुटे हैं। हमें मानव विकास सूचकांक पर भी नजर रखनी होती है। भारत मानव विकास सूचकांक में अभी भी 188 देशों की सूची में 131वें स्थान पर है।’
Eastern part of India particularly states like Bihar, UP, Chattisgarh, MP & Rajasthan is keeping India backward especially on social indicators. While we’ve improved on ease of doing business, we’ve remained backward on human development index: Amitabh Kant, CEO, Niti Ayog #Delhi pic.twitter.com/PDKRcl2fAk
— ANI (@ANI) April 24, 2018
अमिताभ कांत ने कहा कि,’सरकार देश के सामाजिक तानेबाने के उत्थान में जुटी हुई है। इसके लिए कई सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मैं समाज में स्थिर बढ़त को कायम रखने का भी समर्थक हूं। शिक्षा और स्वास्थ्य ये दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें देश की स्थिति अच्छी नहीं है। ये ही देश की विकास दर को पीछे ढकेलने वाले प्रमुख तत्व हैं। हमारे देश में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता बेहद खराब है।
अमिताभ कांत ने उदाहरण देते हुए बताया कि,’भारत जैसे देश में कक्षा 5 में पढ़ने वाले बच्चे कक्षा 2 के स्तर का गुणा नहीं कर पाते हैं। कक्षा 5 में पढ़ने वाले बच्चे अपनी मातृभाषा को पढ़ नहीं पाते हैं। देश में शिशु मृत्यु दर बेहद ऊंची है। ऐसे में जब तक हम इन आयामों पर काम नहीं करेंगे। हम अपनी सतत बढ़त को बनाए रखने में कामयाब नहीं हो सकेंगे।’ उन्होंने देश में फैसला करने की प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का भी समर्थन किया। कांत ने कहा कि,’इस देश में नीतियों के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिलाओं को मौके देने की जरूरत है।’