As Padmavati becomes a burning controversy, people are asking why the legendary @SrBachchan, most versatile @aamir_khan & most popular @iamsrk have no comments..& how come our I&B Minister or our most popular Hon’ble PM (according to PEW) are maintaining stoic silence. High time!
शत्रुघ्न सिन्हा ने उड़ाया नरेंद्र मोदी के मंत्रियों का मजाक- 90% को कोई जानता नहीं, बाकी 10 को मानता नहीं
भाजपा नेता और बॉलीवुड के मशहूर एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रियों का मजाक उड़ाया है। गुरुवार को उन्होंने कहा है कि कैबिनेट के 90 फीसद मंत्रियों को कोई नहीं जानता है। जबकि, बचे हुए 10 फीसद मंत्रियों की कोई इज्जत नहीं करता है। जैसे ही सोशल मीडिया पर शत्रुघ्न की यह टिप्पणी आई, लोगों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया। टि्वटर यूजर्स इस पर उल्टा उन्हीं के मजे लेने लगे। उन्होंने कहा, “आपने कितनी इज्जत दी। जिस पार्टी ने बढ़ाया, उसी को अपशब्द कहे।” किसी ने मजाक बनाने के पीछे का कारण उनकी कुंठा को बताया। कहा, “शुक्र है कि वह मंत्री नहीं हैं, वर्ना वह कहां फिट होते? कुंठा में।” वहीं, एक यूजर ने पूछा कि वह भाजपा छोड़ क्यों नहीं देते? तो किसी ने उनके लिए सिर्फ खामोश शब्द का इस्तेमाल किया। यह पहला मौका नहीं है जब शॉटगन शत्रुघ्न पीएम पर हमलावर हुए हैं। फिल्म पद्मावती पर विवाद को लेकर उन्होंने पीएम और सूचना-प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी पर की चुप्पी पर सवाल खड़े कर किए थे।
उन्होंने इसी के साथ कुछ बॉलीवुड की नामी हस्तियों को भी कठघरे में खड़ा किया था। मंगलवार को उन्होंने कहा था कि अमिताभ बच्चन, आमिर खान, शाहरुख खान, सूचना और प्रसारण मंत्री के साथ इस पर हमारे सबसे लोकप्रिय पीएम चुप किसलिए हैं? उन्होंने ट्वीट किया, “जैसा कि पद्मावती ज्वलंत मुद्दा बन गई है। लोग पूछ रहे हैं कि महानायक अमिताभ बच्चन, बेहद बहुमुखी आमिर खान और सबसे मशहूर शाहरुख खान के पास बोलने के लिए इस पर कुछ नहीं है। कैसे हमारी सूचना और प्रसारण मंत्री या फिर सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री (अमेरिकन थिंक टैंक पोल पीईडब्ल्यू के मुताबिक) इस पर मौन क्यों धारण किए हुए हैं। हाई टाइम!”
वह यही नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि जहां तक उनकी बात है, तो वह इस मसले पर महान फिल्मकार और प्रड्यूसर संजय लीला भंसाली के चुप्पी तोड़ने के बाद बोलेंगे। वह सिर्फ तब बोलेंगे, जब उन्हें बोलना होगा और वह फिल्मकार की अभिरुचियों के साथ मामले की संवेदनशीलता, राजपूतों की वीरता और निष्ठा को ध्यान में रखकर बोलेंगे।”