बिल्डरों को निर्देश: परियोजनाओं को जल्द पूरा नहीं करने पर भुगतना होगा खमियाजा
उप्र सरकार और नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के गले की फांस बन चुकी फ्लैट परियोजनाओं के विवाद को निपटाने के लिए नए तरीके पर काम शुरू किया गया है। इसके तहत दिवाली तक करीब 2500 फ्लैटों का कब्जा खरीदारों को दिए जाने की योजना है। साथ ही अगले चार महीनों में नोएडा की 20 बिल्डर परियोजनाओं के 28 हजार फ्लैटों का कब्जा खरीदारों को दिलाने की तैयारी है। नए तरीके के तहत प्राधिकरण ने पांच निगरानी समितियां बनाई हैं। दो सदस्यीय प्रत्येक समिति की जिम्मेदारी बिल्डर परियोजनाओं पर नियमित निगरानी रखना है। साथ ही यह सुनिश्चित कराना है कि बिल्डर अधिकारियों को सौंपी गई कार्य योजना के मुताबिक काम कर रहे हैं या नहीं। समितियां नियमित रूप से निगरानी रिपोर्ट सीईओ को भेज रही हैं। अब तक की प्रगति की समीक्षा मंगलवार को होने वाली बैठक में की जाएगी। नोएडा सीईओ आलोक टंडन की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में बिल्डर भी मौजूद रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक वास्तविकता में बैठक समीक्षा पर आधारित होगी। तय कार्य योजना के मुताबिक प्रगति नहीं करने वाली बिल्डर कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है।
प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक, प्रत्येक समिति को निगरानी के लिए कुछ आवासीय परियोजनाएं सौंपी गई हैं, जिसकी प्रगति रिपोर्ट सीईओ को भेजी जा रही है। इस रिपोर्ट की समीक्षा में अगर निर्माण स्थल पर बिल्डर की तरफ से सौंपी गई कार्य योजना के मुताबिक काम नहीं हुआ होगा, तो बिल्डर कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। माना जा रहा है कि उप्र में भाजपा सरकार आने के बाद फ्लैट खरीदारों की ओर से बड़े पैमाने पर हुए धरना-प्रदर्शनों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 सितंबर को नोएडा के अलावा ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को बिल्डर कंपनियों से काम पूरा करने संबंधी कार्य योजना मंगाने के निर्देश दिए थे, ताकि कार्य योजना के आधार पर खरीदारों को फ्लैटों का कब्जा दिलाया जा सके।
प्राधिकरण की मांग पर बिल्डर कंपनियों ने निर्माणाधीन परियोजनाओं का काम पूरा करने और कब्जा देने संबंधी कार्य योजना सौंपी थी। साथ ही राज्य सरकार को समयबद्ध आॅडिट रिपोर्ट भी भेजी गई है। बताया गया है कि नोएडा में करीब 94 बिल्डर परियोजनाओं में करीब 80 हजार फ्लैट निर्माणाधीन हैं। इन परियोजनाओं का निर्माण 2014 तक पूरा हो जाना चाहिए थे। बिल्डर कंपनियां देरी की वजह कानूनी पचड़े और रकम (फंड) की कमी को बता रही हैं। वहीं खरीदारों का आरोप है कि 95 फीसद रकम बिल्डर को काफी पहले सौंपी जा चुकी है। इसके बावजूद बिल्डर कंपनियां रुपए डकारने के लिए खुद को दिवालिया घोषित कराने में लगी हुई हैं।
हालांकि बिल्डर कंपनियों की ओर से सौंपी गई कार्य योजना के आधार पर ही प्राधिकरण दिवाली तक करीब 2500 और अगले 4 महीने में 28 हजार खरीदारों को कब्जा सौंपने की उम्मीद लगा रहा है। दिवाली से पहले एक्सप्रेस जीनिथ, सनशाइन, आरजी रेजिडेंसी और पैन ओएसिस परियोजनाओं के 2500 फ्लैटों का कब्जा भी खरीदारों को तब मिलेगा, जब वे अधिभोग प्रमाण पत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी करेंगे। उधर, प्राधिकरण के ग्रुप हाउसिंग विभागाध्यक्ष व ओएसडी संतोष कुमार ने स्पष्ट किया है कि सौंपी गई कार्य योजना के अनुसार जिन परियोजनाओं का काम नहीं हुआ होगा।