संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को नॉर्डिक देशों का समर्थन
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता को लेकर भारत की दावेदारी के पक्ष में नॉर्डिक देश आ गए हैं। नॉर्डिक देशों- स्वीडन, डेनमार्क, आइसलैंड, नार्वे, फिनलैंड ने सम्मेलन के बाद देर रात संयुक्त घोषणापत्र पर सहमति जताई। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी घोषणापत्र के ब्योरे के मुताबिक, नॉर्डिक देशों ने स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया। इसके लिए भारत को एक मजबूत उम्मीदवार बताया है। इन देशों ने विश्व के मौजूदा हालात के मद्देनजर वैश्विक संस्थाओं के पुनर्गठन की जरूरत बताई है। नॉर्डिक देशों ने आतंकवाद रोकने के लिए भारत के एजंडे पर भी सहमति जताई है। इसमें आतंक फैलाने वाली एजंसियों को किसी देश द्वारा प्रश्रय पर रोक लगाने की बात कही गई है।
नार्डिक देशों ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता की दावेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि सार्थक नतीजे तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ समूह के अंदर रचनात्मक कार्य करने की जरूरत के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करना चाहिए। प्रथम भारत-नॉर्डिक सम्मेलन में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्टॉकहोम गए थे। वहां उद्घाटन भाषण के बाद वे लंदन चले गए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डेनिश प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन, फिनलैंड के प्रधानमंत्री जुआ स्पीलिया, आइसलैंड की प्रधानमंत्री कार्टिन जेकोबोस्दोत्तीर, नार्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग और स्वीडिश प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन ने ‘भारत-नार्डिक सम्मेलन : साझा मूल्य, परस्पर समृद्धि’ शीर्षक वाले सम्मेलन में भाग लिया। सभी ने साझा घोषणापत्र में भारत के द्वारा प्रस्तावित बिंदुओं पर सहमति की मुहर लगाई।
नॉर्डिक देशों ने सतत विकास के लिए ‘2030 एजंडा’ को लागू करने और पेरिस समझौते के क्रियान्वयन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। घोषणापत्र में इन देशों ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वैश्विक संस्थाओं के विस्तार और सुधार की जरूरत बताई। इसी सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन में भारत की सदस्यता दावेदारी का समर्थन करते हुए कहा कि नॉर्डिक देशों और भारत ने संरा सुरक्षा परिषद के विस्तार (स्थायी और अस्थायी सदस्यों की) सहित इसमें सुधार की जरूरत की बात दोहराई है, ताकि इस वैश्विक संस्था को 21वीं सदी की वास्तवकिताओं के अनुरूप और अधिक प्रतिनिधिक, जवाबदेह तथा प्रभावी बनाया जा सके।
घोषणापत्र के मुताबिक, भारत और नॉर्डिक देश वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक वृद्धि, नवाचार और जलवायु परिवर्तन से जुड़े विषयों पर सहयोग मजबूत करने के लिए सम्मेलन में सहमत हुए। सम्मेलन में भारत के नवाचार और डिजिटल योजनाओं का समर्थन किया गया। साथ ही, ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘क्लीन इंडिया’ जैसे राष्ट्रीय महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों को दुनिया के लिए परिदृश्य बदलने वाली योजना मानी गई। बयान में कहा गया है कि नेताओं ने इस बात का जिक्र किया कि भारत और नॉर्डिक देशों की अनूठी मजबूती व्यापार एवं निवेश विविधिकरण और परस्पर हित के सहयोग के लिए अपार अवसर की पेशकश करता है।