नॉर्थ कोरिया की धमकी- परमाणु हथियार से जापान के चारों द्वीप डुबोकर मचा देंगे तबाही, उत्तरी एशिया में सनसनी!
परमाणु हथियार से जापान के चार द्वीपों को समंदर में डुबा देने और तबाह कर देने की उत्तरी कोरिया की धमकी के बाद से उत्तर एशिया में एक बार फिर से तनाव का माहौल है। कोरिया के एशिया-प्रशांत शांति समिति के एक प्रवक्ता ने देश की आत्मनिर्भरता के दर्शन (फिलॉसफी) की व्याख्या करते हुए गुरुवार को कहा कि जापान के चारों द्वीपसमूहों को परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर समंदर में डुबो दिया जाना चाहिए। कोरियाई प्रवक्ता ने कहा, “जापान को अब हमारे पास मौजूद होने की जरूरत नहीं है।”
इस पर जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता योशीहिदे सुगा ने गुरुवार को टोक्यो में संवाददाताओं से कहा कि उत्तर कोरिया का नवीनतम खतरा एक घृणित और उत्तेजित करने वाला है। बता दें कि नॉर्थ कोरिया ने अगस्त में एक बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था जो जापान के ऊपर से गुजरा था। इस परीक्षण के बारे में तब कोरियाई सेन्ट्रल न्यूज एजेंसी ने कहा था कि यह अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच होने वाले वार्षिक सैन्य अभ्यासों का क्षमतापूर्वक विरोध करने के लिए किया गया एक सैन्य परीक्षण था।
उत्तरी कोरिया का तानाशाह किंग जोंग उन ने भी इस परीक्षण पर कहा था कि यह परीक्षण गुआम को रोकने के लिए एक “अर्थपूर्ण प्रस्तावना” था। इसके अलावा उत्तरी कोरिया गुआम के आसपास के क्षेत्रों में मध्य-से-लंबी दूरी के रणनीतिक बैलिस्टिक रॉकेट ह्वासोंग -12 के साथ-साथ गुआम पर अमेरिका के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर भी निशाना साधने की धमकी दे चुका है।
गौरतलब है कि तीन सितंबर को ही उत्तरी कोरिया ने हाइड्रोजन बम का भी परीक्षण किया है। इससे दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका समेत पूरा विश्व चिंतित है। हाइड्रोजन बम की ताकत 50 से 120 किलो टन विस्फोटक के बराबर होगी जो 1945 में हीरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से कई गुणा ज्यादा है। बता दें कि हीरोशिमा पर गिराए गए बम की विस्फोटक क्षमता 15 किलो टन थी। इस हमले में उस वक्त 80,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा आजतक वहां पीढ़ी की पीढ़ी विकलांग पैदा हो रही है।
इधर, उत्तर कोरिया की हरकतों से खफा संयुक्त राष्ट्र में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने 13 सितंबर को सर्वसम्मति से अमेरिका द्वारा तैयार किए गए मसौदे और नये प्रतिबंधों पर अपना वोट दिया है। इससे उत्तर कोरिया के वस्त्र निर्यात व अन्य निर्यातों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।