तैयारी: कचरे का ढेर नहीं, दिखेगा हरियाली का पहाड़

शहर के सेक्टर-123 में प्राधिकरण जिस तकनीक पर कचरा घर बना रहा है, वहां आने कुछ सालों में हरियाली भरा पहाड़ दिखाई देगा। करीब 45 फीट ऊंचे इस पहाड़ के चारों तरफ हरित पट्टी विकसित की जाएगी। अफसरों का दावा है कि हरियाली के बाद यह पता भी नहीं चलेगा कि वहां कचरा घर है, जहां पर कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। इसके आधार पर प्राधिकरण ने एक प्रारूप तैयार कराया है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, सेक्टर-123 में कचरा घर (लैंडफिल साइट) को पांच स्तर में तैयार किया जाएगा। निर्माणाधीन भूमिगत चैंबर में कचरे को डाला जाएगा, जिसे सुखाकर पहले आरडीएफ (रिफ्यूज्ड ड्राइव फ्यूल) में तब्दील किया जाएगा। इसके बाद जो कचरा आरडीएफ में तब्दील नहीं हो पाएगा, उसे खाद में बदला जाएगा। बचे हुए कचरे का इस्तेमाल हरियाली के रूप में होगा। इसके लिए कचरे की एक परत बिछाकर 3 मीटर तक मिट्टी डाली जाएगी। हरियाली के रूप में तैयार होने वाली जगह को पिरामिड की शक्ल दी जाएगी। उसके बाद कचरे व मिट्टी की एक परत बिछाई जाएगी। बीच में जल निकासी के लिए पानी की लाइन बिछाई जाएगी।

कचरे और मिट्टी की कुल पांच परतें बिछाने पर इसे हरियाली के पहाड़ का रूप मिल जाएगा। इसके नीचे वेस्ट टु एनर्जी (कचरे से बिजली) संयंत्र भी लगाया जाएगा। ऊपर हरियाली और आधुनिक तकनीक पर आधारित संयंत्र की वजह से बदबू बाहर नहीं आएगी। इसके अलावा पहाड़ के चारों ओर हरित पट्टी तैयार कर नीम के पेड़ लगाए जाएंगे, जिससे हवा भी शुद्ध होगी। बताया गया है कि दिल्ली के करनाल बाईपास पर बने कचरा घर को हरियाली के रूप में तब्दील किया गया था। गाजीपुर में भी यह काम किया जा रहा है। इसी पद्धति के साथ उच्च तकनीक का प्रयोग नोएडा में करने की तैयारी है। कूड़े के नीचे बिछने वाली पाइपलाइन नाली के रूप में काम करेगी, जिससे पहाड़ पर पानी का रिसाव होने के बजाए पानी सीधे पाइप के जरिए भूतल में चला जाएगा।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एनओसी बिना बन रहा कचरा घर

एनजीटी के आदेश पर सेक्टर-123 में जिस कचरा घर और कचरा निस्तारण संयंत्र का काम चल रहा है, उसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं मिला है, जबकि इस स्थल पर आगामी कुछ दिनों में रोजाना 650 टन कचरा फेंका जाना है। इस कचरे के लिए भूमिगत चैंबर बनाया जा रहा है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नोएडा के क्षेत्रीय अधिकारी राकेश कुमार त्यागी ने बताया कि कचरा घर से संबंधित एनओसी विभाग की तरफ से जारी नहीं की गई है। इस संबंध में प्राधिकरण को अवगत करा दिया गया है। जानकारों के मुताबिक, कोई भी फैक्टरी या संयंत्र लगाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एनओसी मिलना अनिवार्य है। वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिस जगह पर कचरा घर बनाया जा रहा है, वह रिहायशी इलाका है और उसके आसपास 50 हजार लोग रहते हैं, इसलिए कचराघर कहीं और बनाया जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *