आधार सुरक्षा के लिए पहली बार किया गया वर्चुअल आईडी लांच. जाने क्या है वर्चुअल आईडी और कैसे करें इसका उपयोग
आधार नंबर लीक होने की खबर के बाद विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) सुरक्षा चक्र को और मजबूत करने में जुट गया है। यूआईडीएआई ने आधार नंबर की सुरक्षा के लिए वर्चुअल आईडी लांच करने की घोषणा की है। यह सीमित अवधि के लिए होगा। आधार कार्ड धारक पहचान की पुष्टि के लिए नंबर के बजाय इसका प्रयोग कर सकेंगे। यूआईडीएआई ने बुधवार (10 जनवरी) को बताया कि यह ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की तर्ज पर काम करेगा। इसके अलावा प्राइवेसी और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए यूआईडीएआई ने लिमिटेड केवाईसी और यूआईडी टोकन को भी अमल में लाने का फैसला किया है। इससे सरकारी या निजी प्रतिष्ठानों को आधार नंबर देने से बचा जा सकेगा। नई व्यवस्था 1 मार्च से प्रभावी होगी। इसके तहत आधार धारक और पहचान की पुष्टि करने वाली एजेंसी के बीच सुरक्षा के दो चक्र (फायरवॉल) होंगे। पांच सौ रुपये में आधार नंबर हासिल करने की खबर मीडिया में आने के बाद आधार नंबर की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे थे। इसके बाद यूआईडीएआई को अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
वर्चुअल आईडी (वीआईडी): यूआईडीएआई की नई व्यवस्था लागू होने पर वीआईडी अमल में आ जाएगा। यह 16 अंकों वाला एक अस्थाई नंबर होगा। पुष्टि के लिए आधार नंबर के स्थान पर इसका प्रयोग किया जा सकेगा। यूआईडीएआई की वेबसाइट पर जाकर इस नंबर को जेनरेट किया जा सकता है। इसके अलावा उसे वापस, रद्द या फिर उसे बदला भी जा सकेेेेगा। वेबसाइट के साथ ही मोबाइल एप्प या एनरॉलमेंट सेंटर पर जाकर वीआईडी हासिल या उसमें बदलाव किया जा सकेगा।
यूआईडी टोकन: किसी कंपनी या संगठन द्वारा किसी के पहचान की पुष्टि के लिए अनुरोध करने पर यूआईडीएआई यूआईडी टोकन जारी करेेेेगा। यह टोकन विशेष आधार नंबर और खास एजेंसी के लिए एक समान होगा। हालांकि, विभिन्न प्रतिष्ठानों के लिए यह अलग-अलग होगा। ऐसे में आधार नंबर धारक की सुरक्षा निश्चित हो सकेगी।
लिमिटेड केवाईसी: आधार नंबर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यूआईडीएआई ने एक और व्यवस्था की है। लिमिटेड केवाईसी की मदद से विशिष्ट नंबर को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसके तहत यूआईडीएआई यह फैसला करेगा कि किसी संगठन को आधार नंबर स्टोर करने की जरूरत है या नहीं। जिन संगठनों को आधार नंबर स्टोर करने की अनुमति दी जाएगी उन्हें ग्लोबल एयूए (ऑथेंटिकेशन एजेंसीज) के नाम से जाना जाएगा। यूआईडी टोकन का इस्तेमाल करने वाली एजेंसियों को लोकल एयूए के तौर पर जाना जाएगा।