NRC: दो अफसरों को कोर्ट की फटकार, कहा-जो काम है वही करो, मीडिया से क्यों करते हो बात?

असम में जारी हुए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के ड्राफ्ट पर मीडिया में बोलने वाले दो अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार यानी 7 अगस्त को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने असम के एनआरसी कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला और भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेष द्वारा एनआरसी के मुद्दे पर मीडिया में बोलने को लेकर खफा होते हुए कहा कि उन्हें अवमानना के लिए जेल भेज सकता था। इसके साथ ही कोर्ट ने बिना परमिशन मीडिया में बोलने को लेकर पाबंदी भी लगा दी।

जस्टिस रंजन गोगोई और आरएफ नरीमन की बेंच ने हजेला और शैलेष द्वारा मीडिया में दिए गए बयानों को ‘सबसे दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दे दिया। बेंच ने कहा, ‘आप ये मत भूलो कि आप कोर्ट के अधिकारी हो, आपका काम आदेश का पालन करना है, आप इस तरह से मीडिया में कैसे जा सकते हैं।’ बेंच ने कहा कि एनआरसी पर बयान देने के कारण उन्हें जेल भी भेजा जा सकता था।बेंच ने कहा, ‘हमें आप दोनों को इस मामले में दोषी करार दे देना चाहिए था और जेल भेज देना चाहिए था। आप जो कुछ भी कहते हैं वह हमारे विचारों को दर्शाता है।’

गौरतलब है कि प्रतीक हजेला ने मीडिया में कहा था कि जिनका नाम एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में नहीं है उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने के लिए और मौके दिए जाएंगे। हजेला के इसी बयान पर कोर्ट ने फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि वह यह कैसे कह सकते हैं कि और मौके दिए जाएंगे। आपको बता दें कि 30 जुलाई को असम में एनआरसी का फाइनल मसौदा जारी किया गया था। इसमें असम के 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 लोगों के नाम शामिल किए गए थे, वहीं 40 लाख लोगों का नाम मसौदे में नहीं था। असम एनआरसी के लिए पहला ड्राफ्ट पिछले साल दिसंबर को जारी किया गया था। इसमें 1.9 करोड़ लोगों का नाम शामिल नहीं था।

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