NRC रिपोर्ट पर जया बच्चन का संसद में प्रदर्शन, लोग देने लगे ‘प्रतीक्षा’ में शरण देने की सलाह

असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) के ड्राफ्ट पर संसद में जमकर हंगामा हुआ है। अलग-अलग राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर राज्यसभा और लोकसभा में जमकर हंगामा किया। उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने भी इस मुद्दे पर रोष प्रकट किया। संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास जया बच्चन हाथों में तख्तियां लेकर इस ड्राफ्ट के खिलाफ प्रदर्शन करती नजर आईं। इन तख्तियों पर लिखा हुआ था कि ‘अपने ही देश में हम भारतीय रिफ्यूजी हो गए।’ जया बच्चन के इस प्रदर्शन की चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है। सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर कई लोगों ने जया बच्चन को ट्रोल किया है। हिमांशु नाम के एक यूजर ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि ‘जया बच्चन अगर चाहें तो उनलोगों को प्रतीक्षा और जलसा में लेकर जा सकती हैं! उन्हें कोई नहीं रोक रहा है।’

रुपेश कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा है कि ‘जया बच्चन के पास मुंबई में बड़े-बड़े विला और अपार्टमेंट हैं…कितने गैरकानूनी प्रवासियों को वो सपोर्ट कर रही हैं? कितने गैरकानूनी बांग्लादेशी प्रवासियों को वो गोद लेने के लिए तैयार हैं? अगर वो ऐसा नहीं कर रही हैं तो फिर क्यों दूसरे भारतीय अवैध रुप से रहने वाले लोगों को गोद लें और उन्हें खाना खिलाएं? हरेश साह नाम के एक यूजर ने लिखा कि जया बच्चन को उन लोगों को नई ब्रांडेड इम्पोटेड साइकिल खरीदने में मदद करनी चाहिए। शैलेंद्र सिंह नाम के एक यूजर ने अमिताभ बच्चन को टैग करते हुए लिखा की ‘आप अपनी पत्नी जया बच्चन जी को समझाते क्यों नहीं की राजनीति तक तो ठीक है लेकिन जहां देश की सुरक्षा का सवाल हो वहां कम से कम ऐसे काम तो न करें क्योंकि अब पब्लिक इतनी भी बेवकूफ नहीं है वह आदमी को उठा भी सकती है और गिरा भी सकती है|’

आपको बता दें कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) का पूर्ण मसविदा सोमवार को जारी किया गया है। एनआरसी में कुल 3,29,91,384 आवेदकों में से अंतिम मसविदे में शामिल किए जाने के लिए 2,89,83,677 लोगों को ही योग्य पाया गया है। इस दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है यानी उनके नाम इस रजिस्टर में शामिल नहीं किए गए हैं। एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और फोटोग्राफ हैं जो 25 मार्च 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं। हालांकि गृह मंत्रालय की तरफ से साफ किया गया है कि वैसे लोग जिनका नाम एनआरसी के रजिस्टर में नहीं है उन्हें निर्वासित नहीं किया जाएगा। विभाग की तरफ से यह भी कहा गया है कि इसमें अपना नाम शामिल कराने को लेकर लोगों को पर्याप्त मौका दिया जाएगा।

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