NSG में बचे सिर्फ पुरुष कमांडो, मैटर्निटी लीव पर गईं आखिरी महिला कमांडो

नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) में अब केवल पुरुष कमांडोज ही बचे हैं, क्योंकि एनएसजी की आखिरी महिला कमांडो भी हाल ही में मैटर्निटी लीव पर चली गई हैं, जिसके बाद अब इसमें केवल पुरुष कमांडो ही बचे हैं। महिला कमांडो मैटर्निटी लीव खत्म होने पर एनएसजी को दुबारा ज्वॉइन कर लेंगी, लेकिन लगता है कि तब तक केवल पुरुष कमांडो के दम पर ही एनएसजी काम करेगा। इंडिया टुडे के मुताबिक महिलाओं के ‘ब्लैक कैट’ कमांडोज के एक दल को स्पेशल ऑपरेशन के लिए और वीआईपी सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग दी गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से पांच साल बाद एनएसजी से अब महिला कमांडोज लगभग गायब हो चुकी हैं।

एनएसजी की महिला कमांडोज के सामने सबसे पहली परेशानी उस वक्त सामने आई थी जब उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने उन्हें अपनी सुरक्षा में तैनात करने से मना कर दिया था। साल 2012 में मायावती और जयललिता को एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडोज के द्वारा Z+ सिक्योरिटी मुहैया कराई गई थी, उस वक्त दोनों ही नेताओं ने अपने ही जेंडर के कमांडोज की तैनाती के लिए साफ मना कर दिया था।

एनएसजी की महिला कमांडोज को पुरुष कमांडोज की तरह ही 90 दिनों की कठिन ट्रेनिंग लेनी होती है। पुरुष कमांडोज की तरह ही महिलाओं को भी शारीरिक और मानसिक स्तर पर कड़े टेस्ट देने के बाद ही वीआईपी और वीवआईपी की सुरक्षा में तैनात किया जाता है। एनएसजी के पूर्व डीजी आरसी तायल का कहना है कि एनएसजी की संपत्ति मानी जाने वाली महिला कमांडोज के चले जाने के बाद उनकी भर्ती के फैसले पर काफी आघात पहुंचा है। उनका कहना है, ‘जब स्टेट पुलिस अच्छी महिला कमांडोज तैयार करने में नाकाम हो जाते हैं तब एनएसजी की महिला कमांडोज की स्किल्स काफी उपयोगी हो जाती हैं। उन्हें कभी भी जेंडर के आधार पर किसी भी तरह की राहत नहीं दी जाती।’ आपको बता दें कि एनएसजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक बार महिला कमांडोज को ‘डायनासोर’ कहकर भी संबोधित किया था।

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