NSUI ने अलका सेहरावत को अध्यक्ष पद पर उतारा
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआइ के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का पर्चा रद्द होने के साथ आठ साल बाद छात्र संघ चुनाव ने एक बार फिर इतिहास दोहराया। बुधवार शाम अध्यक्ष पद पर एक नहीं चार छात्रों का पर्चा रद्द किया गया था। लेकिन देर रात तीन छात्रों को दोबारा चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी गई। विश्वविद्यालय का कहना है कि उनके दस्तावेज दोबारा देखने पर सही पाए गए। बुधवार को जारी अंतिम सूची में डूसू चुनाव अधिकारी ने संशोधन किया। एनएसयूआइ के उम्मीदवार पर विश्वविद्यालय का फैसला बरकरार रहा। अब अध्यक्ष पद पर नौ उम्मीदवार हैं। फैसले के बाद एनएसयूआइ ने अपने खेमे की दूसरी उम्मीदवार अलका सेहरावत को अध्यक्ष पद पर लड़ाने का फैसला किया है। अलका एनएसयूआइ के उन दस उम्मीदवारों में शामिल थीं जिनसे अध्यक्ष पद पर पर्चा भरवाया गया था। एनएसयूआइ ने अपने आठ लोगों से परचा वापस करा लिया था। लेकिन रॉकी के अलावा अलका का अध्यक्ष पद पर पर्चा बरकरार रखा गया। रॉकी तुसीद को टिकट दे दिया गया। लेकिन कहीं न कहीं एनएसयूआइ के नेताओं को कार्रवाई को लेकर अनहोनी की आशंका थी।
अलका सेहरावत भी जाट समुदाय से हैं। करीब आठ साल बाद ऐसा हुआ है जब लिंग्दोह समिति की सिफारिशों के तहत एनएसयूआइ के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार की छुट्टी हुई हो। इससे पहले 2009 में भी लिंग्दोह का असर हुआ था जिसके कारण परिषद और एनएसयूआइ दोनों के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के पर्चे रद्द कर दिए गए थे। तब परिषद के बागी मनोज चौधरी बतौर निर्दलीय मैदान में थे। टिकट न मिलने से मनोज चौधरी बागी हो गए थे। जब एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का पर्चा रद्द हो गया तो परिषद ने बागी को गले लगा लिया। मनोज को समर्थन देकर जिताया गया। फिर वे विधिवत परिषद में लौट आए। लेकिन तब एनएसयूआइ विकल्प नहीं दे सकी और हार गई।
इस बार भी वैसे ही हालात हैं। एनएसयूआइ के अध्यक्ष पद के दावेदार रॉकी तुसीद का परचा रद्द हो चुका है। एनएसयूआइ ने अलका सहरावत को अध्यक्ष पद पर उतार कर डूसू चुनाव में चारो पदों पर बने रहने का फैसला किया है। उधर, रॉकी तुसीद अदालत की शरण में हैं। बकौल रॉकी तुसीद दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है। मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में शुक्रवार को होगी।