लग्जरी कार कंपनी को सबक सिखाने के लिए अलवर के महाराजा ने कूड़ा उठवाने को चलवाई थीं रॉल्स रॉयस कार्स
गाड़ियों की दुनिया में रॉल्स रॉयस (Rolls Royce) बड़ा नाम है। सालों से चला आ रहा स्थापित ब्रांड है। दुनिया भर में इसे खरीदने वालों की कमी नहीं है। लेकिन एक दौर में इसी अमेरिकी कंपनी की जगहंसाई हुई थी। कंपनी को आर्थिक तौर पर इसका नुकसान हुआ था। कारण अपने अलवर के महाराजा थे। उन्होंने ये लग्जरी और महंगी कारें कूड़ा-कचरा उठवाने के काम में लगवा दी थीं। किस्सा 1920 के दौरान का है। रॉल्स रॉयस तब भी आज जितना मशहूर कार ब्रांड था। अलवर के महाराजा जय सिंह भी इन गाड़ियों के मुरीद थे। वह एक साथ तीन गाड़ियां खरीदते थे। एक बार वह लंदन गए हुए थे। वहां बॉन्ड स्ट्रीट पर सामान्य कपड़ों में घूम रहे थे। तभी उन्हें रॉल्स रॉयस का शोरूम दिखा। वह वहां गाड़ियों के मॉडल, खासियत और उनके दाम के बारे में पूछताछ करने पहुंचे।
शोरूम के सेल्समैन को लगा कि वह कोई ऐसा-गैरा शख्स है। उसने यह समझकर उनसे बुरा बर्ताव किया और उन्हें वहां से बाहर निकाल दिया। महाराजा उस वक्त तो चुप रह गए। मगर उन्होंने कंपनी को इसका सबक सिखाने की मन में ठान ली थी। होटल के कमरे में आकर उन्होंने नौकरों को बुलाया। उनसे कार के शोरूम में फोन कर संदेश भिजवाने को कहा कि अलवर के महाराजा कुछ कार खरीदने के इच्छुक हैं। महाराजा कुछ घंटों बाद फिर उसी शोरूम में पहुंचे, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी राजसी पोशाक पहन रखी थी। शोरूम ने उनके स्वागत के लिए वहां रेड कारपेट का इंतजाम किया था। सभी सेल्समैन एक लाइन में उन्हें सलामी ठोंकने के लिए खड़े थे।
शोरूम में रखीं छह कारें महाराजा ने नकद रुपए चुका कर खरीद लीं। गाड़ियों के साथ भारत लौटे, तो उन्होंने वे कारें नगर पालिका विभाग के हवाले कर दीं, जिन्हें शहर की साफ-सफाई के काम में लगाया गया था। सोचिए, तब अलवर की सफाई में दुनिया की सबसे महंगी और लग्जरी ब्रांड की गाड़ियों को लगा दिया गया था। महाराजा का यह कारनामा दुनिया भर में सुर्खियों के रूप में छाया था। हर जगह रॉल्स रॉयस की खिल्ली उड़ रही थी। अमेरिका या यूरोप में जब लोग यह कह कर धौंस जमाते कि उनके पास रॉल्स रॉयस कार हैं, तो कहा जाता कि वही न जो भारत के अलवर में कूड़ा-कचरा उठाने में इस्तेमाल की जाती है। कंपनी की छवि को इससे खासा नुकसान पहुंचा था और उसके राजस्व में भी गिरावट आई थी।