निडर, जांबाज, दबे-कुचले लोगों की आवाज… भ्रष्टाचार की पोल खोलने पर हत्या; ऐसे थे पत्रकार मुकेश चंद्राकर

बस्तर के घने जंगलों में जहां हर पत्ता संघर्ष और साहस की गाथा सुनाता है, वहीं मुकेश चंद्राकर ने एक पत्रकार के रूप में वो जगह बनाई जो आवाज़ों को साहस देने वाले नायकों का होता है. वह सिर्फ खबरों को रिपोर्ट नहीं करते थे, वह बस्तर की पीड़ा, उसकी सुंदरता और न्याय के लिए उसकी लड़ाई के चश्मदीद गवाह थे. बस्तर के जंगलों से निकलने वाली सच्चाई की हर गूंज में मुकेश चंद्राकर का नाम शामिल है, लेकिन मेरे लिए वह सिर्फ एक रिपोर्टर नहीं था. वह एक साथी
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