कालेधन को लेकर बड़ा खुलासा: नए पनामा पेपर्स में एयरटेल मालिक के बेटे और पवर् सिनेमा मालिक का नाम

मीडीया रिपोर्ट के अनुसार  दो साल बाद देश में एक बार फिर कालेधन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस की ऋतु सरीन और जय मजूमदार ने दुनिया भर के लीक हुए 12 लाख से अधिक दस्तावेज में से कुल 12 हजार भारतीयों से जुड़े दस्तावेज खंगाले। जिसमें भारतीय रसूखदारों के नाम सामने आए हैं। इससे पहले 2016 में भी इंडियन एक्सप्रेस अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के संगठन आइसीजे के साथ मिलकर पनामा पेपर्स को लेकर बड़े खुलासे कर देश में भूचाल ला चुका है, जिसमें अमिताभ बच्चन सहित कई हस्तियों के नाम का खुलासा हुआ था। वर्ष 2016 में जब पनामा पेपर्स को लेकर खुलासा हुआ था तो उसका असर भी देखने को मिला। ग्लोबल लेवल पर डेढ़ सौ जांचें शुरू हुईं। भारत में इसमें फंसे 426 भारतीयों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां जांच में जुटी हैं। पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद अब तक भारत में 58 से अधिक सर्च और संपत्ति जब्त की कार्रवाई हो चुकी है। भारतीय अदालतों में कुल 15 से अधिक मामले दाखिल भी हो चुके हैं।

एयरटेल मालिक के बेटे का भी नाम: पनामा पेपर्स से जुड़े नए दस्तावेज में भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल के बेटे और हाइक मैसेंजर मोबाइल ऐप्प के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी कविन भारती मित्तल का नाम भी सामने आया है। दरअसल, अप्रैल 2016 में पनामा पेपर्स के सामने आने से तीन सप्ताह पहले कानूनी मामलों में सलाह देने वाली कंपनी मोसैक फोन्सेका ने पूर्व में पंजीकृत कुछ कंपनियों के अंतिम लाभार्थी मालिकों (यूबीओ) के नाम उजागर किए थे। इसमें केबीएम ग्लोबल लिमिटेड नाम कंपनी के मालिकों का नाम भी सामने आया था। मोसैक फोन्सेका ने इस कंपनी का ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में दिसंबर 2008 में पंजीकरण कराया था। 16 मार्च से 17 मार्च, 2016 के बीच ई-मेल के जरिये हुए संवाद की छानबीन में कविन मित्तल के इस कंपनी के मालिक होने की बात सामने आई है। इसमें केबीएम ग्लोबल के लाभार्थी मालिक का पता अमृता शेरगिल मार्ग, नई दिल्ली का उल्लेख किया गया है। कविन यहीं रहते हैं। पनामा पेपर्स के पहली बार सामने आने (अप्रैल 2016) के वक्त इस कंपनी को लेकर सिर्फ एक ही ब्योरा उपलब्ध था, जिसमें सेक्रेट्री या मध्यस्थ के तौर पर मिनर्वा ट्रस्ट कंपनी लिमिटेड का नाम दर्ज था। इसके अलावा मिनर्वा नॉमिनीज लिमिटेड को केबीएम ग्लोबल का शेयरधारक बताया गया था। मिनर्वा नॉमिनीज के पास कंपनी के 94 शेयर थे। शेयरधारक के तौर पर एक अन्य कंपनी एंटेन रिसोर्सेज इनकॉरपोरेटेड के नाम का भी उल्लेख है।

कबिन मित्तल और केबीएम ग्लोबल से जुड़े नए रिकॉर्ड: कबिन मित्तल और केबीएम ग्लोबल से जुड़े दो नए दस्तावेज भी सामने आए हैं। पहले डॉक्यूमेंट (पनामा पेपर्स के सामने आने के छह महीने बाद 31 अक्टूबर, 2016) में ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा जारी एक नोटिस का उल्लेख है, जिसमें केबीएम ग्लोबल के एजेंट में बदलाव की जानकारी दी गई है। कंपनी के देखरेख की जिम्मेदारी अब मोसैक फोन्सेका के बजाय हैमीज कॉरपोरेट सर्विसेज लिमिटेड को दे दी गई थी। गौरतलब है कि मोसैक फोन्सेका और हैमीज कॉरपोरेट सर्विसेज टोरटोला (ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड) में ही स्थित हैं। दूसरे दास्तावेज में एंटेन रिसोर्सेज की 14 शेयर को मिनर्वा नॉमिनीज के हक में ट्रांसफर करने का उल्लेख है। मिनर्वा नॉमिनीज केविन भारती मित्तल से जुड़े ट्रस्ट के तहत आती है। कविन भारती मित्तल की कंपनी के एक अधिकारी ने उनका पक्ष रखते हुए यह माना कि मित्तल ने ही वर्ष 2008 में केबीएम ग्लोबल लिमिटेड नामक कंपनी गठित की थी। बता दें कि कविन जन्म से ब्रिटिश नागरिक हैं। साथ ही वह भारत के ओवरसीज सिटिजन भी हैं।

पीवीआर के मालिक का भी जुड़ा नाम: पनामा पेपर्स से पीवीआर सिनेमा के मालिक बिजली परिवार का नाम भी जुड़ गया है। नए दस्तावेज से इस बात का खुलासा हुआ है कि लॉ फर्म मोसैक फोन्सेका पीवीआर सिनेमा के मालिक अजय बिजली, पत्नी सेलिना और अमर बिजली से जुड़ी तीन कंपिनयों का कामकाज देखती थी। बिजली परिवार ने पहली कंपनी की स्थापना ब्रिटेन में स्थित प्रोपर्टी पर अधिकार के लिए की थी। अप्रैल 2016 से बिजली परिवार द्वारा एक ट्रस्ट और दिल्ली स्थित प्रिया एग्जिबिटर की माध्यम से दो और ऑफशोर कंपिनयों का संचालन करने की बात सामने आई है। चेस्टरफिल्ड मेफेयर होल्डिंग्स लिमिटेड की मई 2005 में ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में की गई थी। वर्ष 2012 में मोसैक फोन्सेका कंपनी की पंजिकृत एजेंट बन गई थी। अप्रैल 2016 में चेस्टरफिल्ड मेफेयर होल्डिंग्स के सारे शेयर टेनस्टार लिमिटेड और सिनेस्टार लिमिटेड नामक दो कंपिनयों के पास थीं। इन दोनों कंपनियों की स्थापना नवंबर 2015 में ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में की गई थी। बाद में कंपनी के मालिकाना हक में बदलाव की बात भी सामने आई है। अजय बिजली के प्रवक्ता ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेश करने के इरादे से इन कंपनियों की स्थापना की गई थी। उन्होंने बताया कि इन कंपनियों के जरिये भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के तहत ही निवेश किया गया था।

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