मानसून सत्र गढ़ेगा 2019 का रास्ता? उप सभापति चुनाव, 18 दिनों में आधा दर्जन बिल पास कराना बीजेपी की बड़ी चुनौती!
संसद का मानसून सत्र अगले महीने यानी 18 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 10 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कुल 18 दिन संसद में काम होंगे। इन्हीं 18 दिनों के अंदर करीब आधा दर्जन से ज्यादा बिल पास कराने की चुनौती केंद्र सरकार के कंधों पर है। चूंकि यह चुनावी साल है इसलिए सत्तारूढ़ बीजेपी जहां संसद में लटके पड़े अहम बिलों को पास कराकर उसका राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश करेगी वहीं विपक्ष इसकी राह में रोड़ा अटका कर सत्तारूढ़ पार्टी की राजनीतिक पहल को कुंद करना चाहेगी। ऐसे में संसद में गतिरोध होना तय है। वैसे भी संसद के पिछले कई सत्रों में कामकाज नहीं के बराबर हुआ है। पिछले बजट सत्र में साल 2000 के बाद सबसे कम काम हुआ है। बारंबार सदन स्थगन से लोकसभा में मात्र 21 फीसदी और राज्यसभा में मात्र 31 फीसदी ही काम हो सके थे।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने भी सोमवार को सभी विपक्षी दलों से इस बारे में अनुरोध किया कि संसद के मानसून सत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करें। मंत्री ने कहा कि चूंकि मानसून सत्र में कुल 18 कार्यदिवस ही होंगे, इसलिए सदन की उत्पादकता बढ़ाने में सभी राजनीतिक दल सहयोग करें। बता दें कि जहां इस सत्र के भी हंगामेदार होने की आशंका है, वहीं विपक्षी एकजुटता की भी अग्निपरीक्षा होनी है। मौजूदा राज्यसभा के उप सभापति पी जे कूरियन रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह नया उप सभापति चुना जाना है। राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। साथ ही कई सहयोगी दल उसका साथ छोड़ चुके हैं। लिहाजा, कांग्रेस की अगुवाई वाला विपक्ष इस पद पर अपना प्रत्याशी उतारकर विपक्षी एकता का परिचय दे सकता है।
इसके अलावा इस सत्र में तीन तलाक बिल और पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने समेत करीब आधा दर्जन बिल राज्य सभा से पास कराना भी केंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। तीन तलाक और पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग बिल (123वां संविधान संशोधन बिल) लोकसभा में पास होकर राज्य सभा में अटका पड़ा हुआ है। इनके अलावा ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल-2016, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल-2017, राइट्स ऑफ चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कम्पलसरी एजुकेशन (दूसरा संशोधन) बिल-2017 भी संसद से पास कराना सरकार की बड़ी चिंता है। बता दें कि तीन तलाक बीजेपी के लिए राजनीतिक मुद्दा रहा है। इधर, विपक्ष बैंकिंग फ्रॉड, तेल और अन्य सामानों की बढ़ती कीमत, जम्मू-कश्मीर में बदले राजनीतिक हालात और सीजफायर वॉयलेशन की बढ़ती घटनाओं, आतंकी हमलों समेत कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश करेगी।