आज है परशुराम जयंती : पिता के कहने पर काट दिया था माता का सिर, पढ़िए रोचक जानकारी

इस साल ब्राह्मण के कुल गुरु परशुराम की जयंती बुधवार 18 अप्रैल को मनाई जा रही है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इसे परशुराम द्वादशी भी कहा जाता है। माना जाता है इस दिन किए गए पुण्य का प्रभाव कभी खत्म नहीं होता है। परशुराम जी की गणना दशावतारों में होती है। परशुराम भगवान को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। परशुराम को भगवान विष्णु और भगवान शंकर का संयुक्त अवतार माना जाता है। एक बार परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे, लेकिन भगवान गणेश ने उन्हें मिलने नही दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। भगवान परशुराम ने भगवान शिव की कठिन तपस्या कर युद्ध कला में निपुण होने का वरदान मिला।

कौन हैं भगवान परशुराम – भगवान परशुराम की जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान परशुराम ऋषि ऋचीक के पौत्र और जमदग्नि के पुत्र हैं। परशुराम की माता का नाम रेणुका था। हविष्य के प्रभाव से ब्राह्मण पुत्र होते हुए भी ये क्षत्रिय हो गए थे। परशुराम भगवान शंकर के परम भक्त हैं। माना जाता है भगवान शिव द्वारा ही परशुराम जी को परशु प्रदान किया था। जिसके बाद से इनका नाम परशुराम हो गया। इनका वास्तविक नाम राम था।

भगवान परशुराम अपने पिता के अनन्य भक्त थे। उन्होंने अपने पिता के कहने अपनी माता का सिर काट डाला था, लेकिन पुनः पिता के आशीर्वाद से माता की स्थिति यथावत हो गई। भगवान परशुराम चिरजीवी हैं। वह अपने साधकों का कल्याण करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि वे आज भी मन्दराचल पर्वत पर तपस्यारत हैं।

 

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