मैट्रिक परीक्षा में छात्रा को एक नंबर कम देने पर हाईकोर्ट ने बीएसईबी पर लगाया पांच लाख रुपए का हर्जाना


मैट्रिक परीक्षा में छात्रा को एक नंबर कम देना बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) को बेहद भारी पड़ा। बुधवार (29 अगस्त) को पटना हाईकोर्ट ने 2017 की परीक्षा में दूसरी टॉपर भव्या कुमारी को हिंदी विषय की उत्तर पुस्तिका का सही ढंग से मूल्यांकन न करने पर बीएसईबी पर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है।

मूलरूप से बेगूसराय की निवासी भव्या कुमारी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की बेंच ने बीएसईबी पर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया। साथ ही दो हफ्तों के अंदर परीक्षा का परिणाम संशोधित कर प्रकाशित करने का निर्देश दिया। परीक्षा परिणाम संशोधित होकर आने के बाद भव्या 2017 की संयुक्त टॉपर बन जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रकम जमुई सिमुलतला आवासीय विद्यालय के प्रिंसिपल को सौंपी जाएगी, जो इसे विद्यालय के विकास में लगाएंगे। भव्या ने याचिका में बताया था कि हिंदी में उसे कम अंक दिए गए, जिसकी वजह से वह उस परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त नहीं कर पाई। जून 2017 में हुई मैट्रिक परीक्षा में भव्या को कुल 500 अंकों में से 464 अंक मिले थे।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए उसे अंक कम मिलने की जानकारी मिली थी। छात्रा ने याचिका में दावा किया था कि हिंदी विषय में उसे दो सवालों के सही जवाब के अंक नहीं मिले, जबकि संस्कृत और सामाजिक विज्ञान विषय में भी एक-एक उत्तर के अंक उसे नहीं दिए गए। मैट्रिक परीक्षा में लखीसराय के गोवद हाईस्कूल के प्रेम कुमार को पहला स्थान मिला था। उसे 465 अंक हासिल हुए, जबकि भव्या को 464 अंक मिले थे।

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