भागलपुर: केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना में देरी से आंदोलन पर उतरे लोग

भागलपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर कहलगांव और भागलपुर में धरना , प्रदर्शन होने लगे है। संघर्ष समिति के संयोजक डॉ. एचके जयसवाल के मुताबिक जल्द ही इसको लेकर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी हो रही है। अब तो राज्य में जद ( एकी ) और एनडीए की सरकार है। फिर देरी किस बात की। सवाल उठने लगे है। नागरिक संघर्ष समिति के बैनर तले कहलगांव में एक दिन का अनशन आयोजित किया गया। जिसमें आम लोगों का जबर्दस्त समर्थन मिला। अध्यक्षता रामनारायण सिंहा और जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने की। घोषणा के करीब ढाई साल गुजर जाने के बाद भी इस ओर काम का एक कदम नहीं बढ़ा है।

दरअसल बिहार सरकार ने ही अबतक कोई दिलचस्पी नहीं ली है। पत्रों से तो यही जाहिर होता है। भागलपुर के डीएम आदर्श तितमारे ने भी बातचीत में इस मद में कोई फंड सरकार से मिलने की बात से इंकार किया है। हालांकि कहलगांव अंचलाधिकारी ने ऐतिहासिक विक्रमशिला के नजदीक तीन भूखंडों का प्रस्ताव भागलपुर जिलाधीश को चार महीने पहले ही भेजा था। पर कुछ नहीं हुआ है। अब तो ज़िले का सारा महकमा सृजन फर्जीवाड़े के शोर में खोया है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 अगस्त 15 को बिहार के आरा की जन सभा में भागलपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का एलान किया था। इसी साल अप्रैल की 3 तारीख को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ऐतिहासिक विक्रमशिला के दौरे पर आए थे। उस रोज मंच पर बैठे केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी ने राष्ट्रपति को बताया था कि लोकसभा में बीते साल बजट में 500 करोड़ का इस वास्ते प्रावधान किया है। यह बात खुद राष्ट्रपति मंच से अपने भाषण में बोले। उन्होंने यह भी कहा था कि इस मुद्दे पर वे प्रधानमंत्री से बात करेंगे।

उस रोज वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मौजूद थे। इस वजह से यहां के लोगों को ज्यादा उम्मीदें है। और तो और केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागलपुर के लाल अश्विनी कुमार चौबे को शामिल करने से ज्यादा आस बंधी है। ये फिलहाल बक्सर से सांसद है। यों झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे भी भागलपुर के ही है। इन्हीं की पहल से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का विक्रमशिला का दौरा हो पाया था।

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