निजी तस्वीरों को सोशल मीडिया में वायरल करना माना जाएगा रेप के बराबर: कोर्ट का फ़ैसला

“किसी लड़की की निजी तस्वीरों को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर वायरल करना रेप के बराबर है। यह वर्चुअल रेप का मामला माना जाएगा।” ये बातें पश्चिम बंगाल में एक कोर्ट ने रिवेंज पॉर्न (बदला लेने के लिए किसी की अश्लील तस्वीरें वायरल करना) के मामले में सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुनाते वक्त कहीं। पूर्व मिदनापुर ने इस मामले इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष के छात्र को दोषी ठहराते हुए पांच साल के लिए कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इसी के साथ दोषी पर नौ हजार रुपए का जुर्माना भी ठोका है। दोषी ने जिस लड़की की तस्वीरें वायरल की थीं, जज ने उसे सुनवाई के दौरान रेप पीड़िता माना है। सबसे खास बात है कि कोर्ट ने इस मामले में महज दो महीनों (60 दिनों) के भीतर अपना फैसला सुना दिया। पॉर्न रिवेंज के इस मामले में बी.टेक के छात्र की इंटरनेट पर एक लड़की से मुलाकात हुई थी। सोशल मीडिया के जरिए तीन साल तक वह उसका दोस्त बना रहा।

आगे उसने लड़की का विश्वास पाकर उसकी निजी तस्वीरें मांगी। लड़की ने उसकी बातों में आकर उसे फोटो भेज दिए। छात्र इसके बाद उस पर अपने साथ शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाने लगा। लड़की ने इस बात पर विरोध जताया तो बदला लेने और परेशान करने के लिए लड़के ने उसके निजी फोटोज को सोशल मीडिया पर वायरल कर दी थीं।

कोर्ट का इस संबंध में कहना है कि निजी तस्वीरें वायरल होना, लड़की के साथ वर्चुअल रेप होने जैसा है। पुलिस ने जांच-पड़ताल कर 42 दिनों में चार्जशीट फाइल कर ली थी। 50 दिन पूरे होने पर आरोपी बी.टेक छात्र पर अपराध की धाराएं तय की गईं और ठीक दो महीने पूरे होते ही कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। विशेषज्ञों और जानकारों का इस संबंध में कहना है कि यह देश की न्याय व्यवस्था में सबसे ज्यादा आए जल्दी फैसलों में से एक है।

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