ताजमहल था मंदिर, क्रिश्चियनिटी थी कृष्ण नीति- जानिए पीएन ओक की और थ्योरीज
जेपी के राज्य सभा सांसद विनय कटियार ने जब ताजमहल को हिंदू मंदिर बता दिया तो इस पर काफी विवाद हो गया। लेकिन कटियार पहले शख्स नहीं जिसने ऐसा दावा किया हो। कटियार, संगीत सोम, सुब्रमण्यम स्वामी, अनिल विज इत्यादि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा ताजमहल पर दिए गए विवादित बयानों के मूल में जो व्यक्ति है उसका नाम है पुरुषोत्तम नागेश ओक, जो पीएन ओक नाम से ज्यादा मशहूर हैं। सर्वप्रथम ओक ही थे जिन्होंने किताब लिखकर दावा किया कि ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा अपनी बीवी मुमताज बेगम की याद में बनवाया गया मकबरा नहीं बल्कि एक पुराने शिव मंदिर पर बनवाी गई इमारत है। हालांकि ओक के इन दावों को मुख्य धारा के इतिहासकारों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन लगता है कि बीजेपी के नेताओं और उनके समर्थक इतिहास के बारे में ओक पर पूरा भरोसा कर बैठे हैं। आइए देखते हैं ओक ने इतिहास से जुड़े और कौन से दावे किए हैं।
दो मार्च 1917 में इंदौर में जन्मे ओक अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में कई किताबों के लेखक रहे हैं। उनकी ज्यादातर किताबें विवादित विषयों पर रही हैं। उन्होंने चार दिसंबर 2007 में अपने पुणे स्थित आवास पर आखिरी साँसें लीं। तामजहल के अलावा पीएम ओक आगरा के लाल किले को भी हिंदू राजाओं द्वारा बनवाई गई इमारत बता चुके हैं। ओक के अनुसार आगरे का लाल किले का असली नाम लाल कोट था। इतना ही नहीं मुसलमानों के सर्वाधिक पवित्र धार्मिक स्थल काबा को भी ओक शिव मंदिर बता चुके हैं। ओक ने ईसाई धर्म के केंद्र वेटिकन को भी वेदिक वाटिका बताया। ओक ने दावा किया कि क्रिश्चियनिटी मूलतः कृष्ण-नीति है जो वैदिककालीन है।
ओक ने मुगल शासक अकबर को भी महान कहे जाने पर आपत्ति जतायी थी। अकबर ने एक किताब लिखी थी, “कौन कहता है कि अकबर महान था?” अगर आप सोच रहे हैं कि आखिर पीएन ओक ने जब इतनी किताबें लिखी हैं तो आपने स्कूल-कॉलेज या किताब की दुकानों और पुस्तकालयों में उनकी किताबें क्यों नहीं देखीं? खैर, समाज के मुख्यधारा में भले ही पीएन ओक की किताबें सामान्य तौर पर न दिखती-मिलती हों, अमेजॉन जैसी ई-कामर्स वेबसाइट पर उनकी ज्यादातर विवादित किताबें उपलब्ध हैं। यकीन न हो तो गूगल कर लें।