पटना में पुलिस घोटाले का पर्दाफाश: ड्यूटी से सालों गायब अफसर और सिपाही भी हर महीने तनख्वाह लेते रहे
बिहार की राजधानी पटना में बड़े पुलिस घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। यहां तकरीबन 200 पुलिस अफसर-सिपाही ड्यूटी से साल भर तक गायब रहे। फिर भी उनके खाते में हर महीने तनख्वाह पहुंचती रही। ये बातें जब डीआईजी के निरीक्षण में सामने आई तो सब दंग रह गए। सच्चाई देख प्रशासनिक अमला हरकत में आया और मुंशी व एसआई को इस बाबत सस्पेंड कर दिया गया। पुलिस लाइन में तैनात लगभग तीन दर्जन पुलिस अधिकारी समेत 200 जवानों का एक साल से कोई पता नहीं है। वे कहां हैं? क्यों गए थे? वापस क्यों नहीं आए? आगे आएंगे या नहीं? फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, मगर सबसे हैरानी की बात है कि इनमें से कई की तनख्वाह महीने के महीने खाते में पहुंचती थी। हालांकि, उनमें से कुछ की सैलरी पर रोक थी। सूत्रों की मानें तो ऊंची पहुंच रखने वाले अधिकारियों-सिपाहियों की तनख्वाह अभी भी रही है।
निरीक्षण बाद तनख्वाहएं रोकीं
यह सब मामला तब सामने आया, जब सेंट्रल रेंज के डीआईजी राजेश कुमार ने पुलिस लाइन का निरीक्षण किया। तकरीबन पांच के निरीक्षण के बाद डीआईजी ने इन जवानों, एसआई और इंस्पेक्टर की तनख्वाहें बंद करा दीं। उन्होंने इसी के साथ अधिकारियों-सिपाहियों के इस बाबत किसी प्रकार का रिकॉर्ड न रखने पर नाराजगी जाहिर की। प्रशानिक विभाग की लापरवाही उन्होंने यहां तैनात मुंशी राजू प्रसाद और एसआई संजीव कुमार को निलंबित कर दिया।
‘बर्खास्त करने में नहीं लगेगी देर…’
बकौल राजेश कुमार, “एक साल से बगैर नोटिस के जो लोग गायब हैं, वे 48 घंटे में हाजिर हों। अन्यथा उनके निलंबन को बर्खास्तगी में बदलने में देर नहीं लगेगी।” डीआईजी के अनुसार, पुलिस कानून में अगर छह महीने तक कोई बगैर सूचित किए ड्यूटी पर न आए तो उसे सीधे बर्खास्त करने का प्रावधान है।
VIP से छीने अंगरक्षक
निरीक्षण के दौरान डीआईजी ने यह भी देखा कि पटना के 50 ऐसे वीआईपी को अंगरक्षक दिए गए हैं, जो एक से तीन साल से रखे हुए हैं। उन्हें कभी धमकियां मिलीं तो अंगरक्षक का बंदोबस्त किया गया, मगर वे इसे स्टेटस सिंबल मानते हैं। डीआईजी ने ऐसे में उनके अंगरक्षकों को हटा दिया। राकेश कुमार ने जिन लोगों से यह विशेषाधिकार छीना है, उनमें ज्यादातर डॉक्टर, इंजीनियर, ठेकेदार, बिल्डर और नेता शामिल हैं। सरकार उनके अंगरक्षकों का खर्च उठाती थी।
शहर में लगाईं 50 टीमें
कुमार ने आगे बताया कि यहां करीब 300 जवान सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। वेतन के हिसाब से उनसे काम नहीं लिया जा रहा था। नतीजतन डीआईजी ने उन सभी को शहर की सुरक्षा में मुस्तैद किया। अब से जवानों की 50 टीमें शहर की रक्षा करेंगी। हर टीम में छह जवान होंगे। डीआईजी ने कहा कि सुरक्षा के काम से इतर वे पुलिस लाइन में टिके रहेंगे तो उन पर उचित कार्रवाई होगी।