पाकिस्‍तान में उड़ा लोकतंत्र का मजाक- पार्टियों ने किया किसी महिला को वोट नहीं डालने देने का समझौता

पाकिस्‍तान में लोकतंत्र का एक बार फिर से मखौल उड़ाया गया है। पाकिस्‍तानी संविधान में देश के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया गया है, लेकिन खैबर पख्‍तूख्‍वा प्रांत में यह लोकतांत्रिक अधिकार मजाक बनकर रह गई है। मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद स्‍थानीय निकाय के चुनाव में एक भी महिला ने मतदान नहीं किया था। सभी दलों ने आपस में समझौता कर महिलाओं को वोट नहीं डालने देने का फैसला किया था। लोअर और अपर दीर के सामाजिक कार्यकर्ताओं और चुनाव हारने वाले प्रत्‍याशियों ने इसके लिए चुनाव आयोग की निंदा की है।

जानकारी के मुताबिक, शाहीखेल तलाश तहसील वार्ड की मतदाता सूची में 6,286 महिला मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। इसके बावजूद ग्राम परिषद के चुनाव में एक भी महिला ने अपने मताधिकार का इस्‍तेमाल नहीं किया था। इस सीट पर जमात-ए-इस्‍लामी का उम्‍मीदवार गुल हकीम खान चुनाव जीता था। उन्‍हें 1,283 मत मिले थे। इसी तरह समरबाग तहसील के वार्ड में 7,042 महिलाओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं, लेकिन वहां भी किसी भी महिला ने वोट नहीं डाला था। वहां जमात के अखुंजादा अजिजुर रहमान परिषद चुनाव में विजयी रहे थे। स्‍थानीय निकाय के चुनाव में महिलाओं द्वारा वोट न डालने की घटना से चुनाव आयोग सवालों के घेरे में आ गया है। मालूम हो कि 23 ग्राम परिषद के लिए गुरुवार को मतदान हुआ था।

सामाजिक कार्यकर्ता अकबर खान ने ‘डॉन’ को बताया कि क्षेत्र की सभी पार्टियों ने आपस में अनौपचारिक समझौता कर महिलाओं को मतदान न करने देने पर सहमति जताई थी। उन्‍होंने कहा कि महिलाएं वोट डाल सकें यह सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की जिम्‍मेदारी है। महिला अधिकारों के लिए काम करने वालीं शाद बेगम ने बताया कि मुख्‍यधारा की सभी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं के मतदान को लेकर उदासीन हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि राजनीतिक दल पूर्व में कह चुके हैं कि महिलाओं को मताधिकार का प्रयोग नहीं करने देने को लेकर उनके बीच लिखित समझौता है।

 

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